
उत्तर प्रदेश में राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता पद की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया है। अब बीएड- B.Ed डिग्री को अनिवार्य कर दिया गया है, जो पहले केवल एक अधिमानी अर्हता मानी जाती थी। यह निर्णय राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) की 16 दिसंबर 2014 की अधिसूचना के आधार पर लिया गया है, जिसमें प्रवक्ता भर्ती के लिए न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ बीएड को आवश्यक योग्यता घोषित किया गया था।
संशोधित नियमावली में क्या हुआ बदलाव
28 मार्च 2024 को उत्तर प्रदेश सरकार ने “विशेष अधीनस्थ शैक्षणिक (प्रवक्ता संवर्ग) सेवा (द्वितीय संशोधन) नियमावली 2024” जारी की। इस संशोधन के अनुसार, अब राज्य के सभी 534 राजकीय इंटर कॉलेजों और 440 राजकीय बालिका इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता बनने के लिए बीएड डिग्री अनिवार्य होगी। हालांकि, NCTE की अधिसूचना में जहां न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक की शर्त थी, वहीं उत्तर प्रदेश की संशोधित नियमावली में इस सीमा को नहीं रखा गया है।
अपर शिक्षा निदेशक (राजकीय) अजय कुमार द्विवेदी के अनुसार, माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा संशोधित नियमों के तहत शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाएगी और इसका गजट भी प्रकाशित हो चुका है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को प्रवक्ता के कुल 1658 रिक्त पदों का अधियाचन भेजा गया है, जिनमें 836 पद महिलाओं के लिए और 822 पुरुषों के लिए आरक्षित हैं। आवेदन प्रक्रिया अगले माह से शुरू होने की संभावना है।
किन विषयों में बीएड की अनिवार्यता से छूट
संशोधित नियमावली में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कुछ विशेष विषयों में बीएड की आवश्यकता नहीं होगी। गृह विज्ञान (महिला शाखा), सिलाई (महिला शाखा), कला (पुरुष शाखा), वाणिज्य और सैन्य विज्ञान (पुरुष शाखा) जैसे विषयों में प्रवक्ता पद के लिए बीएड डिग्री अनिवार्य नहीं है। इस निर्णय से उन उम्मीदवारों को राहत मिलेगी जो इन विषयों में विशेषज्ञता रखते हैं लेकिन बीएड नहीं किया है।
दो विषयों में अब नहीं होगी भर्ती
नए नियमों के अनुसार, दो विषयों — भूगर्भशास्त्र (पुरुष शाखा) और अभियंत्रण (पुरुष शाखा) — को प्रवक्ता भर्ती से बाहर कर दिया गया है। इसका अर्थ यह है कि अब इन विषयों में किसी प्रकार की प्रवक्ता भर्ती नहीं की जाएगी, जिससे इन विषयों के अभ्यर्थियों को विकल्प की तलाश करनी होगी।
समकक्ष डिग्री की परिभाषा को हटाया गया
भर्ती प्रक्रिया में बार-बार होने वाली कानूनी अड़चनों को दूर करने के उद्देश्य से इस बार एक अहम बदलाव यह किया गया है कि ‘समकक्ष’ शब्द को पूरी तरह से हटा दिया गया है। पहले हर विषय में समकक्ष डिग्री की व्याख्या अस्पष्ट होती थी, जिससे उम्मीदवारों को कोर्ट की शरण लेनी पड़ती थी। अब संशोधित नियमावली में प्रत्येक विषय के लिए मान्य डिग्रियों का नाम स्पष्ट रूप से लिखा गया है, जिससे विवाद की गुंजाइश न रहे।
इतिहास विषय को लेकर विवाद खत्म
प्रवक्ता इतिहास के लिए अर्हता को लेकर पूर्व में काफी विवाद होते रहे हैं। पुराने नियमों में केवल ‘इतिहास’ लिखा होता था, जबकि कुछ विश्वविद्यालय प्राचीन, मध्यकालीन या आधुनिक इतिहास में डिग्री प्रदान करते हैं। संशोधित नियमावली में अब इस भ्रम को भी दूर कर दिया गया है। अब प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक — तीनों ही प्रकार की इतिहास की स्नातकोत्तर डिग्रियों को प्रवक्ता इतिहास पद के लिए मान्य माना गया है।