
अमेरिका ने एक भारतीय नागरिक और भारत की दो कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन पर आरोप है कि ये ईरान के तेल को दूसरे देशों में छिपकर पहुंचाने में मदद कर रहे थे। अमेरिका का कहना है कि ये कंपनियां और व्यक्ति ईरान के ‘छाया बेड़े’ (Shadow Fleet) का हिस्सा हैं।
छाया बेड़ा (Shadow Fleet) क्या होता है?
यह ऐसे जहाजों का समूह होता है जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों और प्रतिबंधों को धोखा देकर तेल या अन्य सामान को गुप्त रूप से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाते हैं। ये जहाज अपनी पहचान छुपाते हैं और कागजातों में भी धोखाधड़ी करते हैं ताकि पता न चले कि माल कहां से आया है।
किस भारतीय नागरिक पर कार्रवाई हुई है?
इस कार्रवाई में जुगविंदर सिंह बरार नामक व्यक्ति शामिल हैं। वे यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) में रहते हैं लेकिन भारत में भी उनका व्यापार है। वह कई पोत (शिपिंग) कंपनियों के मालिक हैं और उनके पास लगभग 30 जहाज हैं। इन जहाजों से ईरानी तेल को इधर-उधर किया जाता है।
कौन-कौन सी भारतीय कंपनियां प्रतिबंधित हुईं?
- ग्लोबल टैंकर्स प्राइवेट लिमिटेड – यह कंपनी भारत में स्थित है और समुद्री जहाजों के ज़रिए माल भेजने का काम करती है।
- बी एंड पी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड – यह कंपनी पेट्रोकेमिकल्स (रासायनिक तेल पदार्थों) की बिक्री से जुड़ी है।
इन दोनों कंपनियों पर जुगविंदर सिंह बरार का नियंत्रण है या वे इनके मालिक हैं।
अमेरिकी एजेंसी OFAC ने क्या कार्रवाई की?
OFAC (Office of Foreign Assets Control), जो अमेरिका के वित्त मंत्रालय का हिस्सा है, उसने इन तीनों — बरार और दोनों कंपनियों — को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया है। इसका मतलब है कि इनका अमेरिका से किसी भी तरह का व्यापार, वित्तीय लेन-देन या साझेदारी अब नहीं हो सकेगा।
कैसे काम करता था यह गुप्त तेल नेटवर्क?
बरार के जहाज ईरान, इराक, यूएई और ओमान की खाड़ी में ईरानी तेल को एक जहाज से दूसरे जहाज में स्थानांतरित करते थे (इसे STS – Ship-to-Ship Transfer कहा जाता है)।
इसके बाद यह तेल ऐसे देशों में भेजा जाता था जहां इसे दूसरे तेल के साथ मिलाकर उसका स्रोत छिपा दिया जाता था।
दस्तावेज़ों में हेराफेरी की जाती थी ताकि लगे कि यह तेल किसी और देश से आया है, जबकि असल में वह ईरान से आता था।
अमेरिका का क्या कहना है?
अमेरिकी वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी, स्कॉट बेसेन्ट, ने कहा कि:
“ईरान अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और अस्थिर गतिविधियों के लिए ऐसे नेटवर्क का उपयोग करता है। बरार और उनकी कंपनियां इस नेटवर्क का हिस्सा हैं। अमेरिका इस तरह के सभी रास्तों को बंद करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
इससे भारत पर क्या असर पड़ेगा?
यह प्रतिबंध भारत सरकार पर नहीं, बल्कि निजी कंपनियों और व्यक्ति पर लगाए गए हैं। इसलिए इसका सीधा असर भारत-अमेरिका रिश्तों पर नहीं पड़ेगा, लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक चर्चा में यह मुद्दा उठ सकता है
अमेरिका ने ईरान के तेल के गुप्त कारोबार को रोकने के लिए बड़ी कार्रवाई की है। इसमें एक भारतीय नागरिक और भारत की दो कंपनियां शामिल हैं जो ईरान के छाया बेड़े का हिस्सा बनकर तेल को दुनिया भर में पहुंचा रही थीं। अमेरिका अब ऐसे हर नेटवर्क पर नजर रखे हुए है जो अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को तोड़कर गुप्त तरीके से व्यापार कर रहा है।