
Financial Planning for Retirement का मतलब है – अपने रिटायरमेंट के बाद की ज़िंदगी के लिए पैसे की सही प्लानिंग करना। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, काम करने की क्षमता और आमदनी दोनों कम हो जाते हैं। ऐसे समय में अगर पहले से पैसे बचाकर और समझदारी से निवेश किया गया हो, तो रिटायरमेंट के बाद की ज़िंदगी बिना किसी टेंशन के बिताई जा सकती है। आज महंगाई बहुत तेज़ी से बढ़ रही है, और इसी को ध्यान में रखते हुए हमें समय रहते फाइनेंशियल प्लानिंग करना बहुत ज़रूरी है।
SIP और SWP: आसान तरीके से रिटायरमेंट फंड बनाने का ज़रिया
आजकल बहुत लोग SIP (Systematic Investment Plan) और SWP (Systematic Withdrawal Plan) के ज़रिए म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। SIP एक ऐसा तरीका है जिसमें हर महीने थोड़े-थोड़े पैसे म्यूचुअल फंड में लगाए जाते हैं। धीरे-धीरे ये पैसे एक बड़ी रकम बन जाते हैं।
जब आप रिटायर हो जाते हैं और इन पैसों की ज़रूरत होती है, तब आप SWP का इस्तेमाल कर सकते हैं। SWP से आप उस फंड से हर महीने एक तय रकम निकाल सकते हैं, जैसे पेंशन मिल रही हो। इस तरह, आपको हर महीने इनकम मिलती रहती है और आपका बाकी पैसा म्यूचुअल फंड में लगा रहता है, जिससे और मुनाफा होता रहता है।
कैसे शुरू करें और कितना मिल सकता है फायदा
मान लीजिए राम नाम का व्यक्ति 35 साल की उम्र में हर महीने ₹5000 की SIP शुरू करता है। अगर उसे हर साल 12% का अनुमानित रिटर्न मिले, तो 25 साल में यानी जब वो 60 साल का होगा, तब उसके पास लगभग ₹85 लाख का फंड होगा।
फिर अगर राम इस पूरे पैसे को SWP में लगाता है और हर महीने ₹10,000 निकालता है, तो वो अगले 10 साल तक हर महीने इनकम पाता रहेगा। इसके अलावा, 10 साल बाद भी उसे कुल मिलाकर ₹1.65 करोड़ रुपए तक मिल सकते हैं। यानी SIP से धीरे-धीरे पैसा जोड़ें और SWP से धीरे-धीरे उसे इस्तेमाल करें।
SIP और SWP क्यों हैं जरूरी?
- SIP से धीरे-धीरे एक बड़ा फंड तैयार होता है।
- SWP से आपको रिटायरमेंट के बाद नियमित इनकम मिलती है।
- म्यूचुअल फंड में पैसा निवेशित रहता है, जिससे उस पर और भी मुनाफा होता है।
- बाजार में गिरावट का असर कम हो जाता है क्योंकि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं।