अब दुकानदार को UPI से भेज सकेंगे ₹2 लाख तक! NPCI को मिली लिमिट बढ़ाने की मंजूरी

आरबीआई ने NPCI को UPI लेनदेन सीमा में बदलाव की अनुमति दी है, जिससे P2M ट्रांजैक्शन और भी लचीले हो सकेंगे। नई व्यवस्था में पूंजी बाजार, बीमा और टैक्स पेमेंट के लिए ₹2-5 लाख तक की सीमा संभव होगी, जबकि P2P लिमिट ₹1 लाख बनी रहेगी।

By Pankaj Singh
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अब दुकानदार को UPI से भेज सकेंगे ₹2 लाख तक! NPCI को मिली लिमिट बढ़ाने की मंजूरी
NPCI UPI Transaction Limit

NPCI UPI Transaction Limit को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक-RBI ने एक अहम फैसला लिया है। अर्थव्यवस्था की वर्तमान जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, आरबीआई ने भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम-NPCI को ग्राहक से दुकानदार यानी Person-to-Merchant (P2M) लेनदेन की सीमा में संशोधन की अनुमति देने का निर्णय लिया है। हालांकि, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति (P2P) के बीच यूपीआई-UPI से लेनदेन की सीमा अब भी ₹1 लाख ही रहेगी।

इस समय यूपीआई के जरिए ग्राहकों से दुकानदारों को पूंजी बाजार और बीमा जैसी सेवाओं में प्रति लेनदेन सीमा ₹2 लाख तय है। वहीं टैक्स पेमेंट, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पताल और आरंभिक सार्वजनिक निर्गम-IPO में भुगतान की सीमा ₹5 लाख तक है। यह नई व्यवस्था वित्तीय लेनदेन को अधिक लचीला और जरूरत आधारित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

एनपीसीआई को मिली स्वायत्तता

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति की पहली द्विमासिक समीक्षा के दौरान कहा कि एनपीसीआई को ‘ग्राहक से दुकानदार’ लेनदेन सीमा में बदलाव की छूट दी जा रही है। इस निर्णय का उद्देश्य डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम में अधिक फ्लेक्सिबिलिटी और उपयोगकर्ता केंद्रित बदलाव लाना है।

केंद्रीय बैंक के अनुसार, एनपीसीआई अब बैंकों और यूपीआई इकोसिस्टम के अन्य हितधारकों के साथ मिलकर नई जरूरतों के अनुसार लेनदेन की सीमा को संशोधित कर सकेगा। इसका सीधा लाभ व्यापारियों, एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स, इंश्योरेंस सेक्टर और निवेशकों को होगा, जो अक्सर अधिक राशि का यूपीआई ट्रांजैक्शन करते हैं।

बैंक बनाएंगे अपनी आंतरिक लिमिट

आरबीआई ने स्पष्ट किया कि हालांकि एनपीसीआई को ऊपरी सीमा तय करने का अधिकार होगा, लेकिन प्रत्येक बैंक को अपनी आंतरिक लेनदेन सीमा निर्धारित करने का अधिकार बरकरार रहेगा। यह व्यवस्था ग्राहकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जिससे किसी भी संभावित धोखाधड़ी या जोखिम को रोका जा सके।

साथ ही, ऊंची राशि के लेनदेन के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपाय जैसे टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन या बैंक-लिमिट अलर्ट जैसी प्रणाली लागू की जा सकती है, जिससे डिजिटल पेमेंट सुरक्षित बना रहे।

कमोडिटी प्राइस और आर्थिक संकेतक

आरबीआई गवर्नर ने ग्लोबल इकॉनमी को लेकर भी अहम बयान दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक मंदी के संकेतों के चलते कच्चे तेल और अन्य कमोडिटी की कीमतों में नरमी देखने को मिल सकती है। इससे घरेलू महंगाई पर कुछ हद तक राहत मिल सकती है।

इसके साथ ही, गवर्नर ने कहा कि भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुधार के संकेत मिल रहे हैं, हालांकि वैश्विक अनिश्चितता के कारण व्यापारिक निर्यात में दबाव बना रहेगा। सेवा निर्यात, खासकर आईटी और बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग में लचीलापन बरकरार रहने की उम्मीद जताई गई है।

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Pankaj Singh

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