
आज के डिजिटल युग में जहां बैंकिंग से लेकर खरीदारी तक सबकुछ ऑनलाइन हो गया है, वहीं अब एफआईआर भी डिजिटल रूप से दर्ज कराई जा सकती है। डिजिटल तकनीक के चलते अब आम नागरिक घर बैठे ही नॉर्मल एफआईआर या ऑनलाइन एफआईआर के बीच से चुनाव कर सकता है। लेकिन बहुत से लोग अब भी इस असमंजस में रहते हैं कि नॉर्मल एफआईआर और ऑनलाइन एफआईआर में असल अंतर क्या है और किस स्थिति में कौन-सी एफआईआर करवाना बेहतर रहेगा। आज इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
क्या है नॉर्मल एफआईआर का पारंपरिक तरीका
नॉर्मल एफआईआर का मतलब है पुलिस स्टेशन जाकर व्यक्तिगत रूप से अपनी शिकायत दर्ज करवाना। इसमें पीड़ित व्यक्ति को संबंधित पुलिस थाने में जाकर एक लिखित शिकायत प्रस्तुत करनी होती है। पुलिस अधिकारी उस शिकायत को सुनते हैं, पूछताछ करते हैं और फिर उसे एफआईआर के रूप में दर्ज करते हैं। इस प्रक्रिया में शिकायतकर्ता और पुलिस अधिकारी के बीच सीधी बातचीत होती है जिससे घटनास्थल से जुड़े तत्काल सबूत और गवाह प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
ऑनलाइन एफआईआर का आधुनिक तरीका
ऑनलाइन एफआईआर यानी इंटरनेट के माध्यम से पुलिस में शिकायत दर्ज करना। कई राज्यों ने नागरिकों की सुविधा के लिए यह सुविधा शुरू कर दी है जहां मोबाइल फोन या कंप्यूटर का उपयोग कर घर बैठे किसी भी समय शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है। ऑनलाइन एफआईआर के लिए संबंधित राज्य पुलिस की वेबसाइट या मोबाइल एप्लिकेशन पर जाकर एक निर्धारित फॉर्म भरना होता है जिसमें घटना का विवरण, स्थान और अन्य आवश्यक जानकारियां दी जाती हैं। दस्तावेज और सबूत भी डिजिटल रूप में अपलोड किए जा सकते हैं।
नॉर्मल एफआईआर और ऑनलाइन एफआईआर में मुख्य अंतर
नॉर्मल एफआईआर और ऑनलाइन एफआईआर के बीच सबसे बड़ा अंतर प्रक्रिया और पहुँच का है। नॉर्मल एफआईआर में शिकायतकर्ता को व्यक्तिगत रूप से पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज करनी पड़ती है, जबकि ऑनलाइन एफआईआर में घर बैठे किसी भी समय यह कार्य किया जा सकता है। नॉर्मल एफआईआर में लिखित दस्तावेज प्रस्तुत किए जाते हैं जबकि ऑनलाइन में डिजिटल डॉक्युमेंट अपलोड करने होते हैं। समय की दृष्टि से देखा जाए तो ऑनलाइन एफआईआर ज्यादा सुविधाजनक और तेज़ है, लेकिन गंभीर मामलों में नॉर्मल एफआईआर अधिक प्रभावी मानी जाती है क्योंकि इसमें पुलिस अधिकारी से सीधा संवाद होता है जो तुरंत कार्रवाई को गति दे सकता है।
कब और कौन-सी एफआईआर कराना है उपयुक्त
यह तय करना कि नॉर्मल एफआईआर या ऑनलाइन एफआईआर में से किसे चुनना चाहिए, आपकी स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है। यदि मामला गंभीर है, जैसे कि चोरी, डकैती, मारपीट या अन्य जघन्य अपराध, तो पुलिस स्टेशन जाकर नॉर्मल एफआईआर दर्ज कराना बेहतर होता है ताकि तुरंत जांच शुरू हो सके। वहीं अगर मामला कम गंभीर है जैसे कि कोई सामान खोना, दस्तावेज़ गुम हो जाना या छोटी-मोटी झड़प, तो ऑनलाइन एफआईआर एक सुविधाजनक और तेज विकल्प साबित हो सकता है। यदि आप यात्रा कर रहे हैं और किसी घटना का शिकार हो जाते हैं, तो तुरंत मोबाइल से ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कर सकते हैं जिससे आपकी शिकायत तुरंत सिस्टम में दर्ज हो जाती है और कार्रवाई प्रारंभ होती है।