
दुनिया भर में पर्वतारोहण का शौक रखने वाले लोग अक्सर ऊंची-ऊंची चोटियों को फतह करने का सपना देखते हैं। लेकिन बहुत से ऐसे भी पर्वत हैं, जिन पर चढ़ने की अनुमति नहीं दी जाती। धार्मिक आस्थाओं से लेकर पर्यावरण संरक्षण और सरकारी नियमों तक, अलग-अलग कारणों की वजह से इन पर्वतों को आम पर्वतारोहियों के लिए बंद कर दिया गया है। इस फेहरिस्त में प्रमुख नाम जैसे माउंट कैलाश (Mount Kailash), गंगखार पुएनसुम (Gangkhar Puensum), कंचनजंघा (Kangchenjunga) और माछापुच्छरे (Machapuchare) शामिल हैं। आज हम जानेंगे उन पर्वतों के बारे में, जहां चढ़ाई करना मना है।
यह भी देखें: Bihar Jobs 2025: 3837 पदों पर बंपर भर्तियां जल्द – कौन-कौन कर सकता है आवेदन?
इन पर्वतों पर चढ़ाई पर प्रतिबंध धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और पर्यावरणीय कारणों से लगाया गया है। यह प्रतिबंध यह सुनिश्चित करता है कि इन पवित्र और अद्भुत स्थलों की प्राकृतिक संरचना और धार्मिक गरिमा बनी रहे। पर्वतारोहण प्रेमियों के लिए यह जरूरी है कि वे स्थानीय मान्यताओं और नियमों का सम्मान करें।
माउंट कैलाश – Mount Kailash
माउंट कैलाश को हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों में अत्यंत पवित्र माना जाता है। हर साल हजारों श्रद्धालु इसकी परिक्रमा करने तिब्बत जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह भगवान शिव का निवास स्थान है। धार्मिक कारणों के साथ-साथ यह पर्वत इतना दुर्गम और खतरनाक है कि अब तक कोई भी व्यक्ति इसे सफलतापूर्वक फतह नहीं कर पाया है। चीन सरकार ने आधिकारिक रूप से इस पर्वत पर चढ़ने की अनुमति नहीं दी है ताकि इसकी पवित्रता और प्राकृतिक संरचना बनी रहे।
यह भी देखें: दिल्ली में महिलाओं के लिए नया नियम – बिना टिकट सफर किया तो लगेगा भारी फाइन
गंगखार पुएनसुम – Gangkhar Puensum
भूटान में स्थित गंगखार पुएनसुम दुनिया का सबसे ऊंचा unclimbed पर्वत है। इसकी ऊंचाई लगभग 7,570 मीटर है। भूटान सरकार ने वर्ष 1994 में एक कानून बनाया, जिसके तहत 6,000 मीटर से अधिक ऊंचे पर्वतों पर चढ़ाई पर रोक लगा दी गई। इसके पीछे धार्मिक आस्थाओं के साथ-साथ पर्यावरणीय संरक्षण का भी मकसद था। स्थानीय लोग मानते हैं कि ऊंचे पर्वत देवताओं और आत्माओं का घर होते हैं, इसलिए इस पर्वत पर किसी भी तरह की मानव गतिविधि वर्जित है।
कंचनजंघा – Kangchenjunga
भारत के सिक्किम राज्य में स्थित कंचनजंघा पर्वत दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है, जिसकी ऊंचाई 8,586 मीटर है। सिक्किम के लोगों के लिए यह पर्वत एक पवित्र स्थल है, जिसे देवताओं का वास स्थल माना जाता है। पहले इस पर्वत पर चढ़ाई की अनुमति थी, लेकिन अब सिक्किम सरकार ने इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। आज कोई भी पर्वतारोही इस पर्वत की चोटी तक नहीं पहुंच सकता, ताकि स्थानीय धार्मिक विश्वासों और सांस्कृतिक विरासत का सम्मान किया जा सके।
यह भी देखें: Saving Account से सिर्फ पैसे नहीं, मिलती हैं ये 10 जबरदस्त सुविधाएं!
माछापुच्छरे – Machapuchare
नेपाल के पोखरा क्षेत्र में स्थित माछापुच्छरे पर्वत को ‘फिशटेल माउंटेन’ के नाम से भी जाना जाता है। इसकी ऊंचाई लगभग 6,993 मीटर है। गुरुंग समुदाय और हिंदू धर्म में इसे भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है। नेपाल सरकार ने इस पर्वत पर चढ़ाई के सभी अभियानों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व को बनाए रखने के लिए इसे आम पर्वतारोहियों के लिए बंद कर दिया गया है।