
भारत में गर्मियों के मौसम के दौरान हीटवेव-Heatwave एक गंभीर और आम समस्या बनती जा रही है। जब तापमान सामान्य से कहीं ज्यादा बढ़ जाता है, तो यह केवल असहजता नहीं बल्कि जीवन के लिए खतरा भी बन सकता है। अप्रैल से जून के महीनों में देश के कई हिस्सों, विशेषकर उत्तर भारत में, लू की स्थिति विकराल रूप ले लेती है। हाल ही में, भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में लू का अलर्ट जारी किया है, जहां तापमान 40 से 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। ऐसे में जरूरी है कि आम नागरिक यह समझें कि हीटवेव की पहचान कैसे की जाए और इसका पूर्वानुमान मौसम विभाग कैसे करता है।
हीटवेव की पहचान: क्या आपके शहर में लू चल रही है?
हीटवेव-Heatwave की पहचान भारतीय मौसम विभाग के तय मानकों के आधार पर की जाती है। यदि किसी मैदानी इलाके में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो, तो उसे हीटवेव माना जाता है। वहीं पहाड़ी क्षेत्रों के लिए यह सीमा 30 डिग्री सेल्सियस है। तटीय क्षेत्रों, जैसे मुंबई या चेन्नई में, यदि तापमान सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा हो जाए, तो वहां भी लू की स्थिति मानी जाती है।
हीटवेव की जानकारी के लिए भारतीय मौसम विभाग की आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स सबसे विश्वसनीय माध्यम हैं। यहां प्रतिदिन तापमान, ह्यूमिडिटी, और हवा की गति सहित विस्तृत बुलेटिन जारी किए जाते हैं। इन बुलेटिन्स के माध्यम से आप जान सकते हैं कि आपके शहर में लू की स्थिति है या नहीं।
IMD कैसे करता है हीटवेव की भविष्यवाणी?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) लू की भविष्यवाणी के लिए कई वैज्ञानिक मॉडल्स और उन्नत तकनीकों का उपयोग करता है। इनमें प्रमुख रूप से वेदर रिसर्च फॉरकास्टिंग मॉडल (WRF), ग्लोबल फॉरकास्टिंग सिस्टम (GFS), और ग्लोबल एनसेंबल फॉरकास्ट सिस्टम (GEFS) शामिल हैं। ये सभी मॉडल मौसम के रुझानों, तापमान में आने वाले बदलाव, हवा की दिशा और आर्द्रता जैसे कई कारकों के आधार पर हीटवेव की स्थिति का पूर्वानुमान लगाते हैं।
इस पूरी प्रक्रिया का संचालन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन होता है और यह प्रणाली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर अपडेट होती रहती है। इसके अलावा IMD, यूरोप और अमेरिका जैसे देशों के अंतरराष्ट्रीय मॉडल्स की मदद से अपने पूर्वानुमान को और भी सटीक बनाने की कोशिश करता है। इससे न केवल आम लोगों को समय रहते आगाह किया जा सकता है, बल्कि सरकारी तंत्र भी राहत कार्यों की योजना बना सकते हैं।