
कृषि में ट्रैक्टर का इस्तेमाल आम बात है, लेकिन ट्रैक्टर चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस की अनिवार्यता को लेकर अक्सर लोगों में भ्रम बना रहता है। भारत सरकार द्वारा बनाए गए सड़क परिवहन कानूनों के अनुसार, ट्रैक्टर चलाने के लिए एक वैध ड्राइविंग लाइसेंस होना अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने इस विषय को और भी स्पष्ट करते हुए ट्रैक्टर चालकों के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता पर जोर दिया है।
ट्रैक्टर और लाइट मोटर व्हीकल (LMV) श्रेणी
कृषि कार्यों में इस्तेमाल होने वाले ट्रैक्टर को लाइट मोटर व्हीकल-Light Motor Vehicle (LMV) श्रेणी में शामिल किया गया है। यानी यदि आपके पास एलएमवी श्रेणी का ड्राइविंग लाइसेंस है, तो आप ट्रैक्टर चला सकते हैं — बशर्ते वह 7500 किलोग्राम से अधिक वजन का न हो। इस श्रेणी के लाइसेंस के लिए आवेदक की उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
यह लाइसेंस व्यक्ति को भारत में बिना किसी रोक-टोक के हल्के मोटर वाहनों के संचालन की अनुमति देता है। हालांकि, ट्रैक्टर एक कृषि उपकरण होने के बावजूद, जब यह सार्वजनिक सड़कों पर चलता है, तो उसे वही नियम लागू होते हैं जो अन्य वाहनों पर लागू होते हैं।
आरटीओ के नियमों की जानकारी क्यों जरूरी है
ड्राइविंग लाइसेंस
ट्रैक्टर चलाने के लिए लाइट मोटर व्हीकल (LMV) लाइसेंस का होना अनिवार्य है। यदि कोई व्यक्ति बिना वैध लाइसेंस के ट्रैक्टर चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाती है। इसमें आर्थिक जुर्माने से लेकर जेल तक की सजा हो सकती है।
बीमा (Insurance) अनिवार्यता
ट्रैक्टर का बीमा भी अन्य वाहनों की तरह जरूरी है। बीमा होने से दुर्घटना की स्थिति में चालक और वाहन दोनों को कानूनी सुरक्षा मिलती है। बीमा के बिना ट्रैक्टर का सड़क पर संचालन नियमों के विरुद्ध है और इसमें पकड़े जाने पर भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है।
पंजीकरण (Registration) की शर्तें
सड़क पर चलने वाले ट्रैक्टर के लिए पंजीकरण अनिवार्य है। यदि ट्रैक्टर के साथ ट्रॉली जुड़ी है, तो उसका भी अलग से पंजीकरण कराना होता है। बिना पंजीकरण के ट्रॉली के इस्तेमाल पर ट्रॉली को जब्त किया जा सकता है या वाहन स्वामी पर आर्थिक दंड लगाया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, यदि कोई व्यक्ति ट्रैक्टर की मूल संरचना में अवैध रूप से बदलाव करता है — जैसे इंजन की क्षमता में फेरबदल या चेसिस में परिवर्तन — तो उसे ₹1,00,000 तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।