
बिजली हमारे जीवन का एक ऐसा अभिन्न हिस्सा है, जिसके बिना हमारी दिनचर्या रुक सी जाती है। लेकिन जितनी आवश्यक बिजली है, उतनी ही खतरनाक भी। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि घर के बाहर लगे तारों में आखिर कितनी बिजली होती है और वह कितनी खतरनाक हो सकती है। इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे और विस्तार से समझेंगे कि बिजली के तारों में कितना करंट प्रवाहित होता है और इसके खतरे क्या-क्या हो सकते हैं।
घर के बाहर लगी तारों में करंट की मात्रा
घर के बाहर जो बिजली के तार नजर आते हैं, उनमें करंट की मात्रा कई कारकों पर निर्भर करती है। भारत में आमतौर पर घरेलू उपयोग के लिए 220 वोल्ट का सिंगल फेज करंट सप्लाई किया जाता है। वहीं, औद्योगिक क्षेत्रों में तीन फेज का करंट होता है, जिसका वोल्टेज कहीं अधिक होता है। तारों का मोटापा यानी उनकी मोटाई, उस तार की धारा वहन करने की क्षमता को निर्धारित करती है। जैसे-जैसे लोड बढ़ता है, वैसे-वैसे करंट का बहाव भी बढ़ता है।
बिजली वितरण कंपनियां (Discoms) घरों तक 220 से 250 वोल्ट AC 50 Hz सप्लाई पहुंचाती हैं। लेकिन जब हम सबस्टेशन से सबस्टेशन तक सप्लाई की बात करते हैं, तो वहाँ 120 kv, 66 kv या 33 kv का उच्च वोल्टेज ट्रांसमिशन होता है। इस स्तर की बिजली इतनी शक्तिशाली होती है कि इसके सीधे संपर्क में आने से गंभीर चोट या मृत्यु भी हो सकती है।
बिजली का झटका लगने से क्या होता है
जब कोई व्यक्ति गलती से बिजली के संपर्क में आता है, तो उसके शरीर से करंट प्रवाहित होने लगता है। यह करंट शरीर के ऊतकों, नसों और अंगों को क्षति पहुंचा सकता है। करंट का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि वह शरीर में कितनी देर तक रहा, करंट की मात्रा कितनी थी और वह शरीर के किस हिस्से से होकर गुजरा। यदि बिजली का झटका हृदय के पास से गुजरता है, तो यह हृदय गति रुकने (Cardiac Arrest) का कारण भी बन सकता है।
गंभीर मामलों में, करंट का झटका शरीर में बर्न इंजरी, स्नायु क्षति और मांसपेशियों के क्षरण का कारण बन सकता है। इसलिए, हमेशा बिजली के तारों से सुरक्षित दूरी बनाकर रखना चाहिए और आवश्यक सावधानियां बरतनी चाहिए।