
Chardham Yatra 2025: 30 अप्रैल से शुरू यात्रा! पहचान छिपाकर खुलने लगे ढाबे-होटल – रहें अलर्टउत्तराखंड में इस वर्ष 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। यात्रा के मार्ग पर स्थित होटल-ढाबों के मालिकों की पहचान को लेकर कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठ रहे हैं। यात्रा के दौरान यात्रियों को सही जानकारी मिल रही है कि किस होटल या ढाबे में शाकाहारी और मांसाहारी भोजन की पेशकश की जाती है।
Chardham Yatra 2025 का महत्व
चारधाम यात्रा, जो गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन के रूप में होती है, भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में शामिल है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु इन स्थलों के दर्शन के लिए उत्तराखंड आते हैं। यात्रा का आरंभ 30 अप्रैल से हो रहा है और इसके लिए श्रद्धालुओं की तैयारियां जोरों पर हैं।
होटल-ढाबों पर पहचान छिपाने का मामला
चारधाम यात्रा के मार्ग पर स्थित कई होटल और ढाबों के मालिकों के बारे में यह आरोप लगाया जा रहा है कि वे जानबूझकर अपनी पहचान छिपाते हैं। कुछ होटल के नाम और उनकी पहचान से यह नहीं पता चलता कि उनके मालिक हिंदू हैं या मुस्लिम। इस वजह से यात्रियों को संदेह हो रहा है कि क्या उन स्थानों पर शाकाहारी भोजन के साथ मांसाहारी भोजन भी दिया जा रहा है।
न्यू स्टार होटल में मालिक की छिपी पहचान
एक रिपोर्ट में यह सामने आया कि हरिद्वार स्थित “न्यू स्टार होटल” के मालिक का नाम इंतजार हुसैन है। होटल का नाम इस तरह से रखा गया है कि यात्रियों को पता नहीं चलता कि होटल के मालिक का धर्म क्या है। होटल पर कोई क्यूआर कोड भी नहीं था, जिससे और भी संदेह उत्पन्न होता है। पहले इस होटल पर हिंदू धर्म से जुड़े झंडे भी लगाए गए थे, जिससे ऐसा लगता था कि यह एक हिंदू होटल है।
पुंडीर ढाबा: सही पहचान के साथ
इस मामले में कुछ होटल ऐसे भी थे, जिनकी पहचान स्पष्ट थी। जैसे हरिद्वार के “पुंडीर ढाबा” में होटल के मालिक का नाम बबली था, और यहां पर सही क्यूआर कोड था। इस ढाबे पर मांसाहारी भोजन का कोई संकोच नहीं था और यह पूरी तरह से सात्विक भोजन की पेशकश करता है।
किसान ढाबा में भी छिपी पहचान
इसके बाद ज़ी न्यूज रिपोर्टर्स ने “किसान द फैमिली ढाबा” का भी रिएलिटी चेक किया। यह होटल भी “न्यू स्टार” की तरह था, जिसमें होटल के नाम से मालिक की पहचान नहीं हो रही थी। जब रिपोर्टर्स ने गहराई से जांच की, तो पता चला कि इस होटल के मालिक जुबैर अहमद थे। पहले इस ढाबे पर भी हिंदू झंडे लगाए गए थे, जो अब हटा दिए गए हैं।
क्या है इस पहचान छिपाने का कारण?
इन होटलों और ढाबों की पहचान छिपाने के पीछे क्या उद्देश्य है, यह सवाल उठता है। क्या यह जानबूझकर श्रद्धालुओं को गुमराह करने का प्रयास हो सकता है? या फिर यह महज इत्तेफाक हो सकता है कि इन स्थानों के मालिक मुस्लिम हैं और उनके नाम से उनकी पहचान स्पष्ट नहीं हो रही?
उत्तराखंड सरकार का कदम
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पूरे मामले पर ध्यान दिया और सभी होटल-ढाबों से अपने मालिकों का नाम स्पष्ट करने का आदेश दिया है। इससे श्रद्धालुओं को सही जानकारी मिलेगी और वे आराम से अपने यात्रा अनुभव को सुरक्षित और सही तरीके से बना पाएंगे।