गुजारा भत्ते पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, सिर्फ गुजारा भत्ते के लिए बेरोजगार नहीं रह सकती, काम कर सकती हो तो करो नौकरी

ओडिशा हाईकोर्ट ने साफ किया है कि शिक्षित और योग्य महिलाएं केवल Maintenance के लिए जानबूझकर बेरोजगार नहीं रह सकतीं। कोर्ट ने गुजारा भत्ते की राशि कम करते हुए कहा कि यदि महिला में कमाने की क्षमता है, तो उसे आत्मनिर्भर बनने की कोशिश करनी चाहिए।

By Pankaj Singh
Published on
गुजारा भत्ते पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, सिर्फ गुजारा भत्ते के लिए बेरोजगार नहीं रह सकती, काम कर सकती हो तो करो नौकरी
गुजारा भत्ते पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

गुजारा भत्ता-Maintenance को लेकर ओडिशा हाईकोर्ट का हालिया फैसला एक नजीर बन गया है, जिसमें कोर्ट ने साफ कहा कि शिक्षित और योग्य महिलाएं केवल गुजारा भत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से बेरोजगार नहीं रह सकतीं।

ओडिशा हाईकोर्ट ने एक पति द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह अहम टिप्पणी की कि कानून का उद्देश्य असहायों को सहयोग देना है, न कि उन्हें जो जानबूझकर काम से दूर रहते हैं। इस फैसले में कोर्ट ने कहा कि कानून उन पत्नियों को समर्थन नहीं देता जो केवल गुजारा भत्ता पाने के लिए काम करने से परहेज़ करती हैं, जबकि उनके पास हायर एजुकेशन और प्रोफेशनल योग्यता मौजूद है।

कोर्ट में प्रस्तुत हुआ मामला

यह टिप्पणी उस समय आई जब एक पति ने पारिवारिक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें उसे अपनी पत्नी को धारा 125 सीआरपीसी के तहत 8,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था। पति की मासिक शुद्ध आय 32,541 रुपये थी और उसके ऊपर अपनी वृद्ध मां की देखभाल की जिम्मेदारी भी थी। वहीं पत्नी साइंस में ग्रेजुएट थी और पत्रकारिता एवं जनसंचार में पीजी डिप्लोमा कर चुकी थी। उसने NDTV सहित कई प्रमुख मीडिया संस्थानों में कार्य किया था, लेकिन वर्तमान में बेरोजगार होने का दावा कर रही थी।

कोर्ट का दृष्टिकोण और निर्णय

न्यायमूर्ति जी सतपथी की सिंगल बेंच ने इस केस में एक गहन दृष्टिकोण अपनाया और कहा कि Maintenance केवल एकपक्षीय जिम्मेदारी नहीं है। कोर्ट ने साफ किया कि यह देखना भी जरूरी है कि पत्नी के पास शिक्षा और आय अर्जित करने की संभावना है या नहीं। पत्नी के पास अनुभव और योग्यता दोनों थे, इसलिए उसे आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रयास करने चाहिए थे।

इसी आधार पर, हाईकोर्ट ने पारिवारिक अदालत के आदेश में संशोधन करते हुए गुजारा भत्ता की राशि को 8,000 रुपये से घटाकर 5,000 रुपये प्रति माह कर दिया।

फैसले का व्यापक प्रभाव

इस फैसले से यह स्पष्ट संदेश गया है कि Maintenance का मकसद उन लोगों की सहायता करना है जो सच में आर्थिक रूप से असमर्थ हैं, न कि उन लोगों की जो जानबूझकर अपनी संभावनाओं को नजरअंदाज करते हैं। यह निर्णय भविष्य में उन मामलों में उपयोगी सिद्ध हो सकता है जहां सक्षम महिलाएं केवल भत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य नहीं करतीं।

Author
Pankaj Singh

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें