
हज यात्रा इस्लाम धर्म का एक अहम स्तंभ है, जिसे हर आर्थिक रूप से सक्षम मुसलमान को जीवन में एक बार पूरा करना अनिवार्य माना गया है। भारत से हर साल लाखों लोग हज के लिए सऊदी अरब रवाना होते हैं, जिनमें से कुछ हज कमेटी ऑफ इंडिया के ज़रिए और बाकी निजी टूर ऑपरेटरों (Private Tour Operators – PTOs) के माध्यम से इस धार्मिक यात्रा पर जाते हैं। इस साल, जब एडवोकेट फिरोज़ अंसारी ने अपनी पत्नी के साथ हज जाने की पूरी तैयारी कर ली थी और आठ लाख रुपये एक निजी ऑपरेटर को जमा करवा दिए थे, तब उन्हें उम्मीद थी कि उनका वर्षों पुराना सपना पूरा हो जाएगा। लेकिन अब स्थिति उलझी हुई है क्योंकि सऊदी अरब सरकार ने भारत के निजी टूर ऑपरेटरों का कोटा रद्द कर दिया है।
हज कोटा रद्द क्यों हुआ और किसे ज़िम्मेदार ठहराया गया
साल 2025 में भारत को हज के लिए 1,75,025 का कोटा मिला था, जिसमें से लगभग 1.22 लाख सीटें हज कमेटी ऑफ इंडिया को और बाकी 52,500 सीटें निजी टूर ऑपरेटरों को दी जानी थीं। लेकिन फरवरी में सऊदी सरकार ने अचानक PTOs का कोटा रद्द कर दिया। इसके पीछे वजह बताई गई कि भारत सरकार द्वारा गठित 26 कंबाइंड हज ग्रुप ऑर्गेनाइज़र (CHGO) सऊदी अरब की तय समयसीमा तक आवश्यक भुगतान और ज़ोन बुकिंग की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाए।
भारत के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भुगतान न होने और प्रक्रियागत लापरवाही के चलते कोटा रद्द किया गया। हालांकि निजी टूर ऑपरेटरों का कहना है कि उन्होंने भुगतान कर दिया था और जिम्मेदारी मंत्रालय की है, जिसने ज़रूरी सूचना और संसाधन समय पर साझा नहीं किए।
हज यात्रियों की परेशानी
निजी ऑपरेटरों के ज़रिए हज पर जाने वाले यात्रियों को आमतौर पर बेहतर सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन इसकी लागत भी ज़्यादा होती है—एक यात्री का खर्च ₹7.5 लाख से लेकर ₹15 लाख तक जा सकता है। वहीं हज कमेटी के ज़रिए जाने वालों का औसत खर्च ₹3.8 लाख होता है।
जब सऊदी सरकार ने PTOs का कोटा रद्द किया, तो हजारों लोगों की मेहनत और पैसे अधर में लटक गए। दिल्ली निवासी मोहम्मद निसार, जो अपनी पत्नी संग हज पर जाने की तैयारी कर रहे थे, भी इसी असमंजस में हैं। उनकी चिंता यह है कि पैसा वापस मिलेगा या नहीं और क्या वे समय पर वीज़ा प्राप्त कर पाएंगे।
सरकारी प्रयास और सीमित राहत
भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद सऊदी सरकार ने 10,000 यात्रियों के लिए कोटा खोलने की सशर्त अनुमति दी है। यह उन PTOs को ही मिलेगा जिन्होंने ज़रूरी दस्तावेज और भुगतान प्रक्रिया समय पर पूरी की है। इससे थोड़ी राहत तो मिली है, लेकिन 40,000 से अधिक यात्रियों की स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 22 अप्रैल को सऊदी अरब दौरे से उम्मीद की जा रही है कि यह मुद्दा उच्च स्तर पर उठाया जाएगा और कोई स्थायी समाधान निकल सकता है। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि जो यात्री इस साल नहीं जा पाएंगे, उन्हें अगले वर्ष प्राथमिकता दी जाएगी और जमा राशि को सुरक्षित रखा जाएगा।
टूर ऑपरेटरों की मांग और आपत्तियाँ
निजी टूर ऑपरेटरों का आरोप है कि उन्हें भ्रमित और बाधित किया गया। उनका कहना है कि सऊदी में ज़ोन बुकिंग के लिए भारत सरकार के कांसुलेट जनरल ऑफ इंडिया (CGI) ने समयसीमा और प्रक्रिया को ठीक से स्पष्ट नहीं किया। इस भ्रम में कई ऑपरेटर आवश्यक भुगतान समय पर नहीं कर सके। इसके चलते उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हुआ है, और यात्रियों की नाराज़गी भी झेलनी पड़ रही है।
हज यात्रा की मौजूदा स्थिति और आगे का रास्ता
इस साल हज यात्रा 4 से 9 जून के बीच आयोजित होगी। भारत से जाने वाले हाजी लगभग 30 से 40 दिन सऊदी अरब में बिताते हैं, जहां वे मक्का, मदीना और अन्य इस्लामिक धर्मस्थलों की यात्रा करते हैं। मीना में उनके लिए विशेष टेंट्स की व्यवस्था की जाती है, जिसे ज़ोन 1, 2 और 3 में बांटा गया है। भुगतान के आधार पर इन ज़ोन की बुकिंग होती है। यह पूरी व्यवस्था इस बार की असमंजस और विलंब की वजह से प्रभावित हो रही है।