बस सफर अब होगा महंगा! इस राज्य में न्यूनतम किराया ₹5 से बढ़कर ₹10

हिमाचल प्रदेश सरकार ने आर्थिक दबाव के कारण बसों का न्यूनतम किराया 5 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया है। यह निर्णय विशेष रूप से छोटे मार्गों पर यात्रा करने वाले यात्रियों पर असर डालेगा, जबकि एचआरटीसी की वित्तीय स्थिति को भी थोड़ी राहत मिलेगी।

By Pankaj Singh
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बस सफर अब होगा महंगा! इस राज्य में न्यूनतम किराया ₹5 से बढ़कर ₹10
बस सफर अब होगा महंगा

हिमाचल प्रदेश सरकार ने आर्थिक संकट के कारण राज्य में सार्वजनिक परिवहन सेवा पर एक नया बोझ डाल दिया है। सूबे की बसों का न्यूनतम किराया बढ़ा दिया गया है, जो अब 5 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया गया है। यह निर्णय शनिवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। इस बढ़ोतरी से सबसे अधिक असर उन यात्रियों पर पड़ेगा जो छोटे मार्गों पर यात्रा करते थे और पहले 5 रुपये में यात्रा कर लेते थे।

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि पिछले कई वर्षों से बस ऑपरेटरों द्वारा किराए में वृद्धि की मांग की जा रही थी, और अब सरकार ने इस मांग को स्वीकार कर किराए में मामूली वृद्धि की है। हालांकि, यह राहत की बात है कि केवल न्यूनतम किराए में वृद्धि की गई है, और बाकी किराया दरें यथावत रहेंगी। यह निर्णय राज्य के परिवहन विभाग द्वारा जारी की जाने वाली अधिसूचना के बाद जल्द ही लागू हो जाएगा।

किराया बढ़ोतरी का कारण और इसका असर

इस बढ़े हुए न्यूनतम किराए का सबसे बड़ा असर उन यात्रियों पर पड़ेगा जो रोजाना छोटे रास्तों पर यात्रा करते थे, जैसे स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र, कामकाजी लोग और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग। अब चार किलोमीटर तक की दूरी तय करने वाले यात्रियों को पांच रुपये की बजाय दस रुपये चुकाने होंगे। इससे विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों की जेब पर दबाव पड़ेगा।

यह निर्णय निजी बस ऑपरेटरों के दबाव और हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की खराब आर्थिक स्थिति के कारण लिया गया है। निजी ऑपरेटर लंबे समय से न्यूनतम बस किराया बढ़ाने की मांग कर रहे थे। उनका कहना है कि राज्य में जहां एक ओर सामान्य किराया अन्य राज्यों से अधिक है, वहीं न्यूनतम किराया सबसे कम है, जिससे उन्हें नुकसान हो रहा है। इस बढ़ोतरी से न केवल निजी ऑपरेटरों को राहत मिलेगी बल्कि एचआरटीसी को भी कुछ वित्तीय सहारा मिलेगा।

एचआरटीसी की वित्तीय स्थिति

एचआरटीसी की हालत पिछले कुछ वर्षों से लगातार खराब हो रही है। 31 मार्च 2023 तक निगम का कुल घाटा 1966 करोड़ रुपये था, जो 31 मार्च 2024 तक बढ़कर 2119 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। वर्तमान में यह घाटा 2200 करोड़ रुपये को पार कर चुका है। इस घाटे को कवर करने के लिए राज्य सरकार हर साल 700 करोड़ रुपये से अधिक की ग्रांट देती है, लेकिन इसके बावजूद निगम की वित्तीय स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है।

निगम की समस्याएं और रियायतें

एचआरटीसी के पास वर्तमान में लगभग 3000 बसों का बेड़ा और 3800 से अधिक रूट हैं। निगम को कई सामाजिक कल्याण योजनाओं के तहत रियायती किराए की सुविधा भी प्रदान करनी होती है, जो निगम की आय को प्रभावित करती है। विशेष रूप से महिलाओं को दी जा रही 50 प्रतिशत किराए की छूट निगम पर अतिरिक्त बोझ डाल रही है। हालांकि सरकार का तर्क है कि यह छूट सामाजिक कल्याण के लिए आवश्यक है, लेकिन इसका असर निगम की वित्तीय स्थिति पर साफ दिखाई दे रहा है।

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Pankaj Singh

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