भारत का एक ऐसा जिला जो बना था 1 दिन के लिए राजधानी – जानिए क्यों और कब हुआ ऐसा

1858 में प्रयागराज (तब का इलाहाबाद) एक दिन के लिए भारत की राजधानी बना था। यह ऐतिहासिक घटना भारत के उपनिवेशिक युग का प्रतीक है। प्रयागराज धार्मिक, शैक्षिक और न्यायिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसका इतिहास आज भी लोगों को आकर्षित करता है।

By Pankaj Singh
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भारत का एक ऐसा जिला जो बना था 1 दिन के लिए राजधानी – जानिए क्यों और कब हुआ ऐसा
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भारत का इतिहास कई रोचक किस्सों और अनसुनी कहानियों से भरा हुआ है, और ऐसा ही एक वाकया है प्रयागराज का, जो एक दिन के लिए भारत की राजधानी बना था। यह सुनने में भले ही असामान्य लगे, लेकिन यह ऐतिहासिक घटना भारत के उपनिवेशिक काल की सच्ची कहानी है, जो हमें हमारे गौरवशाली और जटिल अतीत की झलक देती है।

भारत की बदलती राजधानियाँ और प्रयागराज का विशेष स्थान

आज की राजधानी नई दिल्ली है, लेकिन भारत की राजधानी हमेशा दिल्ली नहीं थी। पाटलीपुत्र, कोलकाता, शिमला और धर्मशाला जैसे शहर समय-समय पर इस भूमिका में रहे हैं। इसी क्रम में प्रयागराज (पूर्व नाम इलाहाबाद) भी एक दिन के लिए राजधानी बना, जिससे यह इतिहास के पन्नों में एक खास स्थान पाता है।

इतिहास में दर्ज एक दिन की राजधानी

प्रयागराज को यह सम्मान वर्ष 1858 में मिला, जब ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत के शासन की बागडोर अपने हाथों में ली। इसी ऐतिहासिक मौके पर प्रयागराज को प्रतीकात्मक रूप से भारत की राजधानी घोषित किया गया। उस समय यह उत्तर-पश्चिम प्रांत की राजधानी था, जिसे बाद में United Provinces और अंततः 1950 में उत्तर प्रदेश कहा जाने लगा।

प्रयागराज का ऐतिहासिक नाम और सांस्कृतिक पहचान

प्राचीन काल से ही प्रयागराज एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र रहा है। यह वही स्थान है जहां गंगा, यमुना और मानी हुई अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है, जिसे ‘त्रिवेणी संगम’ कहा जाता है। इसी कारण इसे संगम नगरी भी कहा जाता है। मुग़ल काल में इसका नाम इलाहाबाद रखा गया था, लेकिन अब इसे फिर से प्रयागराज के नाम से जाना जाता है।

1858 की ऐतिहासिक घटना और प्रयागराज की राजधानी बनना

जब ब्रिटिश राज ने भारत के प्रशासन को औपचारिक रूप से अपने अधीन लिया, तो उस समय प्रयागराज को प्रतीकात्मक रूप से एक दिन के लिए राजधानी बनाया गया। यह घटना न सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह दर्शाती है कि प्रयागराज को कितनी अहमियत दी जाती थी।

ब्रिटिशों की बनाई धरोहरें

ब्रिटिश शासनकाल में प्रयागराज को कई संस्थाओं से सुसज्जित किया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट की स्थापना यहीं हुई, जो आज भी भारत की न्यायपालिका की एक प्रमुख संस्था है। इसके अलावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना भी ब्रिटिश काल में हुई, जिसे भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में गिना जाता है।

उत्तर प्रदेश की विशिष्टता और प्रयागराज की भूमिका

उत्तर प्रदेश न केवल भारत का सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है, बल्कि इसके पास सबसे अधिक जिले (75) भी हैं। प्रयागराज, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक, धार्मिक और शैक्षिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण जिला है, जिसकी अपनी एक अलग पहचान है।

नई दिल्ली की राजधानी बनने की कहानी

12 दिसंबर 1911 को ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम ने कोलकाता से नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया। 1912 से नई दिल्ली औपचारिक रूप से राजधानी बन गई और तब से लेकर आज तक यह भारत का प्रशासनिक केंद्र बनी हुई है।

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Pankaj Singh

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