इन गाड़ियों पर लगा बैन नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल! अप्रैल लास्ट से लागू होंगें नियम

दिल्ली सरकार जल्द ही 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों को ईंधन नहीं देने की नीति लागू करेगी। ANPR कैमरों की मदद से वाहन की उम्र और PUC प्रमाणपत्र की जांच होगी। सुप्रीम कोर्ट और NGT के आदेशों के तहत यह कदम वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए उठाया गया है। यह नीति लोगों को पर्यावरण के अनुकूल विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित करेगी।

By Pankaj Singh
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इन गाड़ियों पर लगा बैन नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल! अप्रैल लास्ट से लागू होंगें नियम
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दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण-Air Pollution पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार जल्द ही एक नई और सख्त नीति लागू करने जा रही है। इसके तहत 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों और 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों को किसी भी हालत में ईंधन-Fuel नहीं दिया जाएगा। यह नीति वायु गुणवत्ता सुधारने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की संख्या घटाने के उद्देश्य से बनाई गई है।

दिल्ली में लगभग 60 लाख ऐसे वाहन हैं जो तय उम्र सीमा से पुराने हो चुके हैं। इन वाहनों से निकलने वाला धुआं शहर की हवा को जहरीला बना रहा है। सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के पुराने आदेशों को आधार बनाकर अब सरकार इसे जमीनी स्तर पर लागू करने की तैयारी में है।

स्वचालित तकनीक से होगी निगरानी

नई नीति को कारगर ढंग से लागू करने के लिए राजधानी के 477 पेट्रोल पंप और सीएनजी-CNG स्टेशनों पर एएनपीआर कैमरे-ANPR Cameras लगाए जा चुके हैं। यह कैमरे वाहनों की नंबर प्लेट स्कैन कर उनकी उम्र और प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र-PUC Certificate की वैधता की जांच करेंगे। यदि कोई वाहन तय मानकों को पूरा नहीं करता, तो पंप कर्मियों को डिजिटल अलर्ट मिलेगा और ईंधन देने से इनकार कर दिया जाएगा।

पर्यावरण विभाग के अनुसार, बचे हुए 23 सीएनजी स्टेशनों पर भी अगले 10-15 दिनों में कैमरे लग जाएंगे। इसके बाद अप्रैल के अंत तक इस नीति को पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा।

न्यायालय के आदेशों का पालन

यह कदम वर्ष 2018 के सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के अनुरूप है, जिसमें 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों को दिल्ली की सड़कों से हटाने की बात कही गई थी। इससे पहले, 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल-NGT ने ऐसे वाहनों को सार्वजनिक स्थानों पर पार्क करने से भी प्रतिबंधित कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया था कि सरकारी विभागों को इलेक्ट्रिक वाहन-EV अपनाने चाहिए ताकि अन्य नागरिकों को भी पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिले।

नीति की आवश्यकता और प्रभाव

दिल्ली में वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत है। इस वजह से राजधानी की हवा कई बार खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती है, जिससे बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों पर गंभीर असर पड़ता है।

इस नई नीति का लक्ष्य न केवल पुराने वाहनों को सड़कों से हटाना है, बल्कि नागरिकों को अधिक Environment-Friendly परिवहन विकल्पों की ओर प्रेरित करना भी है, जैसे EVs और Public Transport।

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Pankaj Singh

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