
वक्फ संशोधन अधिनियम-Waqf Amendment Act को लेकर देशभर में गहरी बहस छिड़ गई है। यह मामला अब केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं रह गया, बल्कि विधायिका और न्यायपालिका के बीच के रिश्तों पर भी सवाल उठने लगे हैं। भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे का हालिया बयान इस बहस को और तेज कर गया है। उन्होंने कहा कि अगर कानून बनाना सुप्रीम कोर्ट का ही काम रह गया है, तो फिर संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। उनका यह बयान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वायरल हो गया, जिसने जनमानस को इस अधिनियम की संवैधानिकता पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया।
विधायिका बनाम न्यायपालिका
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले ही यह स्पष्ट कर दिया कि उन्हें पूरा विश्वास है कि न्यायपालिका विधायी मामलों में टिप्पणी करने से बचेगी। उन्होंने दो टूक कहा कि विधायिका और न्यायपालिका को एक-दूसरे के क्षेत्र का सम्मान करना चाहिए, वरना संवैधानिक संतुलन बिगड़ सकता है। इस बयान ने स्पष्ट कर दिया कि सरकार इस मुद्दे पर पूरी गंभीरता से नजर रखे हुए है।
उपराष्ट्रपति का सख्त रुख
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी इस मुद्दे पर अपनी स्पष्ट राय रखी। उन्होंने राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में आयोजित राज्यसभा इंटर्नशिप कार्यक्रम के समापन समारोह में न्यायपालिका की सीमाओं पर सवाल उठाए। उन्होंने अनुच्छेद 145(3) और अनुच्छेद 142 का उल्लेख करते हुए कहा कि कोर्ट की भूमिका केवल संविधान की व्याख्या करने तक सीमित होनी चाहिए। उनके अनुसार अनुच्छेद 142, जिसे न्यायपालिका का अंतिम अस्त्र माना जाता है, अब लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए परमाणु मिसाइल जैसा बन गया है।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया और निर्देश
वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट वक्फ अधिनियम से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। हालिया सुनवाई में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक केंद्र सरकार जवाब नहीं देती, तब तक वक्फ संपत्तियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा। यह भी आदेश दिया गया कि वक्फ घोषित संपत्तियों को डी-नोटिफाई नहीं किया जाएगा, चाहे वह वक्फ बाय यूजर हो या वक्फ बाय डीड। साथ ही वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति भी नहीं की जाएगी। यह आदेश केंद्र सरकार और राज्य सरकारों दोनों के लिए निर्णायक हो सकता है।
उत्तर प्रदेश सरकार की बड़ी कार्रवाई
योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस बीच एक बड़ा कदम उठाते हुए वक्फ बोर्ड से जुड़ी 58 एकड़ जमीन को सरकार के नाम पर वापस ले लिया है। यह कार्रवाई न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि इससे यह भी संकेत मिलता है कि राज्य सरकारें अब वक्फ संपत्तियों की वैधता और उपयोगिता की दोबारा समीक्षा कर रही हैं। यह एक व्यापक प्रशासनिक और कानूनी पुनरावलोकन की शुरुआत हो सकती है।