
लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ का हमारी ज़िंदगी में दखल आज इतना ज़्यादा हो गया है कि यह लगभग हर घर का हिस्सा बन चुका है। लेकिन जैसे-जैसे ये डिवाइस पुराने होते हैं, हम इन्हें कचरे में डाल देते हैं। खासकर इनकी बैटरियों को बेकार समझ कर फेंक दिया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि खराब लैपटॉप की बैटरी भी आपके घर की बिजली की जरूरतें पूरी कर सकती है? हाल ही में एक ऐसे ही दिलचस्प किस्से ने सभी का ध्यान खींचा, जिसमें एक व्यक्ति ने खराब लैपटॉप बैटरियों की मदद से पूरे आठ साल तक अपने घर को बिजली दी – वह भी बिना सरकारी बिजली पर निर्भर हुए।
खराब बैटरियों से बिजली उत्पादन की प्रेरणादायक कहानी
ग्लुबक्स नामक इस व्यक्ति ने यह साबित कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति और सही तकनीक हो, तो इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को भी एक Renewable Energy स्रोत में बदला जा सकता है। ग्लुबक्स को इस प्रोजेक्ट का विचार तब आया जब उन्होंने देखा कि कोई व्यक्ति पीसी बैटरियों से इलेक्ट्रिक बाइक चला रहा है। इससे प्रेरित होकर उन्होंने अपने खुद के एनर्जी सिस्टम की योजना बनाई, जिसकी शुरुआत नवंबर 2016 में हुई।
उन्होंने शुरुआत की 1.4 किलोवॉट के सोलर पैनल और 24V 460Ah की एक फोर्कलिफ्ट बैटरी से। धीरे-धीरे उन्होंने इस सेटअप को इतना प्रभावी और एडवांस बना लिया कि पूरा घर इसी सिस्टम से संचालित होने लगा।
1000 लैपटॉप बैटरियों और 7000 वॉट सोलर पैनल का कमाल
ग्लुबक्स ने करीब 1000 पुरानी लैपटॉप बैटरियों को एक खास बैटरी रैक में सजाया और उन्हें एक 7,000 वॉट के Solar System से जोड़ा। इस पूरे सिस्टम में उन्होंने विभिन्न प्रकार के उपकरणों का उपयोग किया, जैसे कि:
- 56kWh क्षमता का पॉवर स्टोर करने वाला यूनिट,
- विंटर के मौसम के लिए 440W का अतिरिक्त सोलर पैनल,
- बैटरी डेटा की निगरानी के लिए Venus GX सिस्टम।
इस प्रणाली ने उन्हें पूरी तरह से ग्रिड फ्री बना दिया। वे पिछले आठ वर्षों से बिना किसी सरकारी बिजली की आवश्यकता के अपना घर रोशन कर रहे हैं। इस पूरे प्रोजेक्ट में उनका कुल खर्च लगभग 10,000 यूरो आया – जो सुनने में भारी लग सकता है, लेकिन लंबे समय की Electricity Saving को देखें तो यह खर्च काफी व्यावहारिक बन जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक कचरा या पर्यावरण का समाधान?
ग्लुबक्स की यह पहल हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि जिसे हम “कचरा” समझते हैं, वह वास्तव में एक बहुमूल्य संसाधन हो सकता है। खराब लैपटॉप बैटरियों को दोबारा उपयोग में लाकर न केवल उन्होंने पैसे की बचत की, बल्कि पर्यावरण की रक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह Electronic Waste Management का एक बेहतरीन उदाहरण है, जिसे अगर बड़े स्तर पर अपनाया जाए, तो यह ऊर्जा संकट और प्रदूषण दोनों का समाधान बन सकता है।