
8th Pay Commission की चर्चा एक बार फिर से जोर पकड़ चुकी है, क्योंकि केंद्र सरकार ने इसकी तैयारियां तेजी से शुरू कर दी हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार, आयोग के नियम और शर्तें (Terms of Reference – ToR) आगामी दो से तीन सप्ताह में जारी कर दी जाएंगी। इसके साथ ही, आयोग के चेयरमैन और अन्य सदस्यों के नामों की भी घोषणा की जाएगी।
कॉमन मेमोरेंडम का होगा निर्माण
8वें वेतन आयोग के गठन से पहले केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स की तरफ से एक कॉमन मेमोरेंडम तैयार किया जाएगा। इसकी घोषणा नेशनल काउंसिल-जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NC-JCM) ने की है। इस मेमोरेंडम में फिटमेंट फैक्टर, न्यूनतम वेतन, पे स्केल, भत्ते, एडवांस और प्रमोशन से जुड़ी मांगों और सुझावों को समाहित किया जाएगा।
मेमोरेंडम तैयार करने के लिए एक विशेष ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता एनसी-जेसीएम के स्टाफ साइड के सेक्रेटरी जनरल शिव गोपाल मिश्रा करेंगे। इस समिति में 13 सदस्य शामिल होंगे, जिनका चयन मान्यता प्राप्त कर्मचारी यूनियन करेंगी। जून महीने में इस कमेटी की बैठक होगी, जिसमें मेमोरेंडम का मसौदा तैयार किया जाएगा। यह निर्णय हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित स्टाफ साइड मीटिंग में लिया गया है।
रिपोर्ट तैयार करने के लिए मिलेगा एक साल का समय
सरकार 8वें वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए कम से कम एक वर्ष का समय देगी। इस दौरान केंद्र, राज्य सरकारों, सरकारी कंपनियों और अन्य आवश्यक पक्षों से विचार-विमर्श किया जाएगा। आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद नया वेतनमान और पेंशन 1 जनवरी 2026 से लागू माने जाएंगे।
सरकारी खर्च पर पड़ेगा दबाव
7वें वेतन आयोग के कार्यान्वयन के समय सरकार का वित्तीय बोझ काफी बढ़ गया था। वर्ष 2016-17 में वेतन और पेंशन में करीब 23.55% की बढ़ोतरी हुई थी, जिससे सरकार पर लगभग 1.02 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा था। अब 8वें वेतन आयोग के साथ भी सरकार को इसी तरह के वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ सकता है, जिससे बजट को संतुलित बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।
5 करोड़ से अधिक लोगों को होगा लाभ
8th Pay Commission से लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनर्स को लाभ मिलने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाखों कर्मचारी भी इससे लाभान्वित होंगे, क्योंकि वे अक्सर केंद्र सरकार के निर्णयों का अनुसरण करते हैं। इस व्यापक प्रभाव के कारण, इस आयोग की सिफारिशें बेहद महत्वपूर्ण हो जाती हैं।
नए वेतन ढांचे की तैयारी
7वें वेतन आयोग ने नया पे मैट्रिक्स लागू किया था, जिसमें न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये और अधिकतम वेतन 2.5 लाख रुपये प्रति माह तय किया गया था। 8वें वेतन आयोग भी महंगाई और बढ़ती लागत को ध्यान में रखते हुए नया फिटमेंट फैक्टर निर्धारित करेगा। पिछली बार 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू हुआ था, और इस बार भी इसी तरह की महत्वपूर्ण वृद्धि की संभावना जताई जा रही है।
7वें वेतन आयोग के बाद 2016-17 में सरकार के खर्च में 9.9% की बढ़ोतरी देखी गई थी, जबकि इसके पहले खर्च में केवल 4.8% की बढ़ोतरी होती थी। इसी प्रकार, 8वें वेतन आयोग के प्रभाव से भी सरकार के बजट पर गहरा असर पड़ सकता है, जिसे ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाई जा रही हैं।