
हिमाचल प्रदेश में चल रही एचपी शिवा परियोजना (HP Shiva Project) के अंतर्गत Renewable Energy को बढ़ावा देने के लिए सोलर पैनल लगाने का महत्त्वाकांक्षी प्रयास किया जा रहा है। लेकिन इस प्रयास को उस वक्त झटका लगा जब पाया गया कि जिन कंपनियों के साथ अनुबंध कर कार्य दिए गए थे, वे अपने निर्धारित लक्ष्य पूरे नहीं कर रही हैं। इसके चलते प्रदेश सरकार ने इन कंपनियों पर सख्त रुख अपनाते हुए अनुबंध की शर्तों के अनुसार पेनल्टी लगाने के निर्देश जारी किए हैं।
राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में सचिवालय में आयोजित एचपी शिवा परियोजना की गवर्निंग काउंसिल की तीसरी बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में बताया गया कि यह परियोजना प्रदेश के सात जिलों में कार्यान्वित की जा रही है, जिसकी कुल लागत ₹1292 करोड़ है। इसमें ₹1030 करोड़ का ऋण एशियन डेवलपमेंट बैंक (Asian Development Bank) से और ₹262 करोड़ राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे हैं।
परियोजना की प्रगति और सोलर फेंसिंग का हाल
अब तक इस परियोजना के अंतर्गत ₹190 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। इसका मुख्य उद्देश्य प्रदेश में 4000 हेक्टेयर भूमि पर सोलर फेंसिंग (Solar Fencing) करना है, जिससे फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। वर्ष 2025 के जून माह तक 2750 हेक्टेयर भूमि पर कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य है, जबकि अब तक केवल 828 हेक्टेयर पर ही यह काम हो पाया है। इस देरी के कारण ही अब फर्मों पर अनुबंध की शर्तों के मुताबिक पेनल्टी लगाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
बागवानी और तकनीकी उन्नयन के लिए मजबूत कदम
बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि नौणी विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2026 तक 40-40 हजार प्लम और जापानी फल के पौधे तथा 2027 तक कुल एक लाख पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे। साथ ही किसानों को रूट टाइप पौधे ही दिए जाने की सिफारिश की गई है ताकि उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।
इसके अतिरिक्त कृषि विभाग अब उच्च तकनीक युक्त स्प्रे किट, पंप और अन्य उपकरण ब्रांडेड कंपनियों से टेंडर प्रक्रिया के जरिए खरीदेगा। इससे किसानों को गुणवत्तापूर्ण और टिकाऊ उपकरण मिल सकेंगे।
डिजिटल कृषि और एआई-सक्षम सेवाएं
HP शिवा परियोजना के तहत एक इंटीग्रेटेड डिजिटल प्लेटफॉर्म (Integrated Digital Platform) तैयार किया जा रहा है, जिसमें 75 प्रकार की AI आधारित सेवाएं किसानों को दी जाएंगी। इन सेवाओं में पौध सुरक्षा, रोग प्रबंधन, मिट्टी जांच, नमी का स्तर, मौसम की जानकारी, उत्पादन की ट्रैकिंग और बाजार उपलब्धता शामिल हैं। इससे किसान अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
इसके अतिरिक्त, क्लस्टर आधारित किसानों को उनके बागीचों से उत्पन्न होने वाले कार्बन क्रेडिट का भी लाभ मिलेगा, जो पर्यावरण के साथ-साथ किसानों की आमदनी में वृद्धि करेगा।
सख्ती के निर्देश और आगे की रणनीति
बैठक में ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण के आदेश दिए गए हैं। साथ ही जिन कंपनियों द्वारा कार्यों में देरी हो रही है, उन पर तत्काल पेनल्टी लगाने के निर्देश बागवानी मंत्री द्वारा दिए गए हैं। इस बैठक में विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित कृषि और बागवानी से जुड़े अन्य प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।