
विवाद से विश्वास स्कीम सरकार की एक अहम पहल है जो इनकम टैक्स-Income Tax से जुड़े पुराने विवादों को खत्म करने के लिए शुरू की गई है। इस स्कीम के तहत टैक्सपेयर्स को एक अंतिम मौका दिया जा रहा है कि वे अपने पेंडिंग टैक्स विवादों का निपटारा सहमति से कर लें और जुर्माना-पेनल्टी तथा ब्याज से पूरी तरह राहत पा लें। वित्त मंत्रालय द्वारा इस स्कीम के तहत आवेदन की अंतिम तारीख 30 अप्रैल 2025 तय की गई है, जिसका मतलब है कि टैक्सपेयर्स के पास अब बहुत कम समय बचा है।
यह स्कीम विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिन पर टैक्स विभाग द्वारा कोई विवादित टैक्स बकाया है और वह मामला कोर्ट या किसी अन्य अपीलीय प्राधिकरण में लंबित है। अब वे व्यक्ति इस स्कीम के अंतर्गत आवेदन कर सकते हैं और केवल मूल टैक्स की निर्धारित राशि जमा करके जुर्माना और ब्याज से पूरी तरह छुटकारा पा सकते हैं।
विवाद से विश्वास स्कीम का मकसद
इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य देश में चल रहे पुराने टैक्स विवादों का समाधान करना है, ताकि करदाताओं और सरकार दोनों के समय और संसाधनों की बचत हो सके। अक्सर कोर्ट और ट्रिब्यूनल में वर्षों तक चलने वाले मामलों से राहत दिलाने के लिए यह स्कीम एक बेहतर विकल्प है।
वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई टैक्सपेयर निर्धारित टैक्स राशि और उस पर तय प्रतिशत के हिसाब से अतिरिक्त रकम जमा कर देता है, तो उसे न केवल जुर्माने और ब्याज से छुटकारा मिलेगा बल्कि उसका केस भी पूरी तरह से बंद मान लिया जाएगा। इससे टैक्सपेयर को एक बार में सभी विवादों से मुक्ति मिल सकती है।
समय पर भुगतान करने पर मिलने वाले फायदे
यदि कोई पात्र टैक्सपेयर इस स्कीम के अंतर्गत समय से आवेदन करता है और निर्धारित टैक्स अमाउंट का भुगतान करता है, तो उसे डिक्लेरेशन अथॉरिटी को आवेदन सौंपना होगा। ऐसा करने पर इनकम टैक्स विभाग जुर्माने और ब्याज को पूरी तरह माफ कर देगा। इससे करदाता को लंबी कानूनी लड़ाई से निजात मिलेगी और साथ ही टैक्स क्लियरेंस की स्थिति भी बन जाएगी, जिससे भविष्य में किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
कौन उठा सकता है लाभ
इस स्कीम का लाभ वे सभी टैक्सपेयर्स ले सकते हैं जिनके केस इनकम टैक्स एक्ट के अंतर्गत पेंडिंग हैं। चाहे वह केस कमिश्नर अपील में हो, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण में या हाई कोर्ट अथवा सुप्रीम कोर्ट में—हर लेवल पर लंबित विवादों को इस स्कीम में कवर किया गया है। यह एक अवसर है जब टैक्सपेयर बिना अतिरिक्त आर्थिक बोझ के अपने विवादों को खत्म कर सकते हैं।