
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक दावा तेजी से वायरल हुआ कि सरकार ₹2,000 से ज्यादा के UPI ट्रांजैक्शन पर जीएसटी-GST लगाने की योजना बना रही है। इस दावे ने आम लोगों से लेकर कारोबारियों तक को चिंता में डाल दिया। ऐसे में वित्त मंत्रालय को खुद सामने आकर स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी। शुक्रवार को जारी आधिकारिक बयान में मंत्रालय ने कहा कि यह दावा पूरी तरह भ्रामक और निराधार है। सरकार के सामने ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। मंत्रालय ने साफ किया कि ₹2,000 से ऊपर के UPI ट्रांजैक्शन पर GST लगाने की कोई योजना फिलहाल नहीं है और यह महज अफवाह है।
यह स्पष्टीकरण ऐसे समय आया है जब डिजिटल पेमेंट्स और खासकर UPI (Unified Payments Interface) का इस्तेमाल गांव से लेकर शहरों तक, हर वर्ग द्वारा तेजी से बढ़ रहा है। अफवाहों के इस दौर में मंत्रालय का यह बयान काफी अहम साबित हुआ है क्योंकि यह सीधे आम आदमी की जेब और कारोबारी लेन-देन से जुड़ा मामला है।
GST क्या है और इसे क्यों लागू किया गया?
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स-GST, भारत में 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया। इसे देश की इनडायरेक्ट टैक्स प्रणाली को सरल, एकीकृत और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से लाया गया। GST ने पुराने टैक्स जैसे सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी, वैट आदि को खत्म कर एक “वन नेशन, वन टैक्स” सिस्टम स्थापित किया।
GST की खूबी यह है कि यह पूरे देश में एक समान दर से लागू होता है, जिससे व्यापार में आसानी होती है और इंटरस्टेट ट्रांजैक्शन पहले से कहीं ज्यादा सरल हो गए हैं। GST के तहत मुख्यतः चार टैक्स स्लैब निर्धारित किए गए हैं— 5%, 12%, 18% और 28%। इसके अतिरिक्त कुछ जरूरी वस्तुएं 0% टैक्स की श्रेणी में आती हैं, जैसे कि खाद्यान्न। वहीं, लग्जरी और हानिकारक वस्तुओं पर 28% टैक्स और सेस भी लगाया जाता है।
GST के डिजिटल स्वरूप ने कारोबार के सभी चरणों को ऑनलाइन कर दिया है—चाहे वह रजिस्ट्रेशन, रिटर्न फाइलिंग हो या पेमेंट। हालांकि, प्रारंभिक दिनों में छोटे व्यापारियों को टेक्नोलॉजी से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे इसे अपनाने की प्रक्रिया आसान होती गई। सरकार का मानना है कि GST ने टैक्स चोरी पर रोक लगाने में भी बड़ी भूमिका निभाई है।
क्या डिजिटल ट्रांजैक्शन पर GST लागू हो सकता है?
वर्तमान में सरकार की ओर से डिजिटल लेन-देन, खासकर UPI जैसे माध्यमों को बढ़ावा देने की नीति है। ऐसे में UPI पर टैक्स लगाना, सरकार की “कैशलेस इकोनॉमी” को बढ़ावा देने की सोच के बिल्कुल विपरीत होगा। साथ ही, डिजिटल भुगतान प्रणाली को बढ़ाने के लिए सरकार इंसेंटिव स्कीम्स, कैशबैक, और बैंक चार्ज माफी जैसे कदम उठा चुकी है। इसलिए यह मानना कि सरकार ऐसे ट्रांजैक्शन पर GST लगाएगी, व्यावहारिक नहीं लगता।