
IDFC First Bank ने हाल ही में दो बड़े निवेशकों — वारबर्ग पिनकस (Warburg Pincus) और अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) — से कुल ₹7,500 करोड़ का निवेश प्राप्त कर के बाजार में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है। यह निवेश बैंक के विकास के अगले चरण की नींव रखने वाला माना जा रहा है, खासकर जब बात हो रही है कैपिटल एडेकेसी रेश्यो (Capital Adequacy Ratio) को 16.5% से बढ़ाकर 19% के स्तर तक ले जाने की। हालांकि, इस शानदार उपलब्धि के समानांतर, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक पर ₹38.60 लाख का जुर्माना भी लगाया है, जो Know Your Customer (KYC) से जुड़े नियमों के उल्लंघन के कारण है।
KYC नियमों की अनदेखी बनी सजा की वजह
आरबीआई की ओर से लगाए गए जुर्माने का कारण IDFC First Bank की ओर से चालू खाता खोलने की प्रक्रिया में KYC से जुड़े नियमों का पूरी तरह पालन न करना रहा। RBI ने 17 अप्रैल 2025 को बैंक को इस कार्रवाई की जानकारी दी। यह सजा बैंकिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता और ग्राहक की सही पहचान को सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई प्रणाली के महत्व को दर्शाती है। एक्सचेंज फाइलिंग के माध्यम से बैंक ने यह जानकारी साझा की।
बैंक की प्रतिक्रिया और आंतरिक सुधार
IDFC First Bank ने इस कार्रवाई को गंभीरता से लिया है और बताया कि उसने पहले ही आंतरिक समीक्षा पूरी कर ली है। बैंक ने यह भी कहा कि केवाईसी प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जा चुके हैं। बैंक के अनुसार, यह मामला केवल प्रक्रिया से जुड़ा है और इसका उनकी वित्तीय स्थिति या दिन-प्रतिदिन के बैंकिंग कार्यों पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह रुख यह दिखाता है कि बैंक पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ना चाहता है।
निवेश से भविष्य की रणनीति को मिलेगी रफ्तार
बैंक के एमडी और सीईओ वी वैद्यनाथन ने हाल ही में एक बातचीत में बताया कि IDFC First Bank की बैलेंस शीट अगले चार वर्षों में दोगुनी हो सकती है। उनका यह आत्मविश्वास ₹7,500 करोड़ की बड़ी पूंजी प्राप्त होने के बाद और भी मजबूत हो गया है। यह पूंजी मुख्य रूप से बैंक के कोर लेंडिंग बिजनेस, खासकर रिटेल और एमएसएमई (Micro, Small and Medium Enterprises) सेगमेंट की लोनबुक को बढ़ाने में इस्तेमाल की जाएगी। वैद्यनाथन का यह भी कहना है कि बैंक के पास भविष्य की ग्रोथ के लिए अब पर्याप्त पूंजी मौजूद है और यही बैंक की रणनीति का मुख्य आधार होगा।