
बिहार सरकार ने जमीन (Bihar Bhumi) और संपत्ति के निबंधन (Registration) की पारंपरिक प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। अब राज्य में जमीन की रजिस्ट्री यानी निबंधन के लिए कागज पर हस्ताक्षर (Signature) की जरूरत नहीं होगी। इसके बजाय बायोमेट्रिक पहचान और ओटीपी (OTP) से ही यह काम हो जाएगा। इसे डिजिटल साइन (Digital Sign) माना जाएगा। यह कदम राज्य को पूरी तरह पेपरलेस और डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
कैसे बदली जाएगी जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया?
अब तक जमीन की रजिस्ट्री के दौरान दस्तावेजों पर खरीदार और विक्रेता को अपने हस्ताक्षर करने होते थे। इसके लिए कागज पर सभी जानकारी भरकर कई तरह के दस्तावेज जमा करने होते थे। लेकिन अब यह तरीका बदला जा रहा है।
अब रजिस्ट्री के लिए कंप्यूटर पर ही सारी जानकारी दर्ज की जाएगी। जमीन से जुड़ी सभी बातें—जैसे कि जमीन का विवरण, सौदे की राशि, खरीदार और विक्रेता की पहचान—सब कुछ कंप्यूटर में भरा जाएगा।
खरीदार और विक्रेता को यह जानकारी देखने का मौका मिलेगा। अगर कोई गलती हो, तो उसे सही किया जा सकता है। जब सब कुछ सही हो जाए, तब यह ई-कॉपी अधिकारी तक जाएगी।
डिजिटल साइन कैसे काम करेगा?
- रजिस्ट्री के समय खरीदार और विक्रेता दोनों की बायोमेट्रिक पहचान ली जाएगी, जैसे कि अंगूठे का निशान। इसके बाद उनके आधार नंबर को सिस्टम में दर्ज किया जाएगा और मोबाइल पर एक ओटीपी (OTP) आएगा।
- इस ओटीपी को दर्ज करते ही यह माना जाएगा कि व्यक्ति ने दस्तावेज़ पर डिजिटल साइन कर दिया है।
- अब कागज़ पर हस्ताक्षर की जरूरत नहीं होगी।
रजिस्ट्री की पूरी प्रक्रिया कैसे होगी?
नई प्रक्रिया में न केवल दस्तावेज़ डिजिटल होंगे, बल्कि पूरी रजिस्ट्री प्रक्रिया कंप्यूटर से ही होगी।
- सबसे पहले, खरीदार और विक्रेता की पहचान की पुष्टि होगी। फिर दस्तावेजों को तैयार किया जाएगा। सब कुछ ऑनलाइन सिस्टम में भरा जाएगा।
- इसके बाद, दोनों पक्षों की बायोमेट्रिक पहचान ली जाएगी और ओटीपी के ज़रिए पुष्टि की जाएगी।
- अंत में, दस्तावेज को अधिकारी के सामने पेश किया जाएगा, जहां रजिस्ट्री की आखिरी प्रक्रिया पूरी होगी।
- सरकार की योजना है कि अभी शुरुआती दौर में रजिस्ट्री की एक बार प्रिंटेड कॉपी खरीदार को दी जाएगी। लेकिन बाद में यह भी बंद कर पूरी प्रक्रिया को 100% पेपरलेस बना दिया जाएगा।
शुरुआत किन जिलों में हो रही है?
फिलहाल यह नई ई-निबंधन प्रक्रिया बिहार के 10 अवर निबंधन कार्यालयों में शुरू की जा रही है। ये जिले हैं:
- शेखपुरा
- जहानाबाद
- भोजपुर
- सोनपुर (सारण)
- पातेपुर (वैशाली)
- बाढ़
- फतुहां
- संपतचक (पटना)
- डेहरी (रोहतास)
- केसरिया (पूर्वी चंपारण)
अगर इन जगहों पर यह प्रक्रिया सफल रहती है, तो इसे पूरे बिहार में लागू किया जाएगा।
इस बदलाव से क्या फायदे होंगे?
यह बदलाव जमीन की खरीद-बिक्री को आसान, तेज़ और पारदर्शी बनाएगा।
- समय की बचत: अब लोगों को दस्तावेजों में हस्ताक्षर करने, उन्हें बार-बार जांचने की जरूरत नहीं होगी।
- धोखाधड़ी पर रोक: बायोमेट्रिक और ओटीपी से पुष्टि के कारण कोई और व्यक्ति किसी की जगह जमीन नहीं बेच या खरीद सकेगा।
- पेपरलेस प्रक्रिया: इससे सरकारी कामों में पारदर्शिता आएगी और कागज की बर्बादी भी रुकेगी।
- डिजिटल इंडिया की दिशा में कदम: यह कदम बिहार को डिजिटल इंडिया के विजन के करीब लाएगा।