
जनवरी 2024 में केंद्र सरकार द्वारा 8वां वेतन आयोग (8th Pay Commission) गठित करने की घोषणा ने सरकारी कर्मचारियों के बीच एक नई उम्मीद जगा दी थी। इसके तहत आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होंगी। अब सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा लिए हैं और इसका कामकाज समयसीमा के भीतर पूरा करने के लिए 35 सदस्यीय टीम गठित की जा रही है, जो प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत होगी।
इस बार केंद्र सरकार ने परंपरागत विलंब से हटकर रिकॉर्ड समय में वेतन आयोग की पूरी प्रक्रिया संपन्न करने का लक्ष्य रखा है। आजादी के बाद पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि सरकार महज 200 दिनों में न केवल आयोग गठित करेगी, बल्कि उसकी सिफारिशों को लागू भी कर देगी। इससे पहले के सभी वेतन आयोगों में यह प्रक्रिया दो से ढाई वर्षों तक चली है।
वेतन आयोग के गठन की दिशा में ठोस प्रगति
हालांकि अभी आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने हाल ही में आयोग के काम के लिए आवश्यक 35 पदों की अधिसूचना जारी कर दी है। इन पदों को प्रतिनियुक्ति के माध्यम से भरा जाएगा और इसके लिए पात्रता, एपीएआर, विजिलेंस क्लीयरेंस जैसी औपचारिकताओं को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश भी तय किए गए हैं।
सरकार ने आयोग गठन से पहले सभी हितधारकों से ‘टर्म ऑफ रेफरेंस’ के लिए सुझाव मांगे थे। 10 फरवरी को आयोजित बैठक में कर्मचारियों के संगठनों ने अपनी मांगें दर्ज कराई हैं, जिन्हें शामिल करने की प्रक्रिया जारी है। उम्मीद है कि सरकार इसी महीने इस पर अंतिम घोषणा कर देगी।
पे मेट्रिक्स और फिटमेंट फैक्टर का समीकरण
8वां वेतन आयोग, 7वें वेतन आयोग द्वारा तैयार किए गए Pay Matrix को ही आधार बनाएगा। यानी, मौजूदा ढांचे में सिर्फ डेटा अपडेट कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। यह काम आसान हो जाएगा क्योंकि ढांचा पहले से मौजूद है।
इस बार चर्चा Fitment Factor को लेकर है। यदि यह 2.0 निर्धारित होता है, तो न्यूनतम Basic Salary ₹18,000 से बढ़कर ₹36,000 हो सकती है। वहीं, 1.9 होने पर यह ₹34,200 तय की जा सकती है। हालांकि अंतिम निर्णय सरकार के विवेक पर निर्भर करेगा।
संभावित बदलाव और नई आवश्यकताएं
वर्तमान पे मेट्रिक्स में कुल 18 लेवल हैं, जिनमें से कुछ को मर्ज किया जा सकता है। HRA और TA जैसे भत्तों में भी बदलाव संभव है। साथ ही, ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने की स्थिति में दी जाने वाली बीमा राशि को लेकर भी पुनर्विचार की आवश्यकता बताई जा रही है।
तेजी से बदलते परिदृश्य में सरकार की रणनीति
इस बार वेतन आयोग को समय से पहले रिपोर्ट तैयार करनी होगी, क्योंकि सिफारिशें जनवरी 2026 से लागू होनी हैं। नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल के अनुसार, आवश्यक स्टाफ की भर्ती शुरू हो चुकी है और किसी भी समय आयोग के सदस्यों की घोषणा हो सकती है।
पहली बार ऐसा माना जा रहा है कि सरकार को ज्यादा भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी, क्योंकि डिजिटल प्लेटफॉर्म की सहायता से दूसरे देशों के वेतनमान और आर्थिक नीतियों की जानकारी अब ऑनलाइन उपलब्ध है। पहले विदेशी दौरों में जो समय लगता था, वह अब डिजिटल अध्ययन के जरिए काफी कम हो गया है।
नवाचार बनाम परंपरा
कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव का मानना है कि वेतन संशोधन हर पांच साल में होना चाहिए, क्योंकि मुद्रास्फीति के इस दौर में दस वर्ष का अंतराल कर्मचारियों के लिए असहज स्थिति पैदा करता है।
अब तक जितने वेतन आयोग गठित हुए, उनके गठन से लागू होने तक का समय बहुत अधिक रहा है। मगर इस बार मोदी सरकार यदि तय समय में आयोग की रिपोर्ट लागू कर देती है, तो यह एक नया रिकॉर्ड होगा।