
घर खरीदने का सपना आज के दौर में एक बड़ा निर्णय बन चुका है, और जब बात जॉइंट होम लोन (Joint Home Loan) की आती है, तो यह सपना कुछ ज्यादा ही रणनीतिक हो जाता है। दो या दो से अधिक लोग मिलकर जब किसी रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी के लिए लोन लेते हैं, तो बैंक उनकी संयुक्त आय और क्रेडिट हिस्ट्री के आधार पर लोन पास करता है। यह न केवल होम लोन की एलिजिबिलिटी बढ़ाता है, बल्कि टैक्स छूट से लेकर ब्याज दरों तक में फायदा पहुंचाता है। लेकिन जहां फायदे हैं, वहीं कुछ जोखिम भी हैं जिनका ध्यान रखना जरूरी है।
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टैक्स में डबल फायदा, लेकिन शर्तें लागू
होम लोन पर टैक्स बचत को लेकर बहुत से लोग उत्साहित रहते हैं और जॉइंट होम लोन में यह लाभ दोगुना हो सकता है। इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 80C के तहत प्रिंसिपल अमाउंट पर ₹1.5 लाख और सेक्शन 24(b) के तहत ब्याज पर ₹2 लाख तक की छूट प्रत्येक को-अप्लिकेंट को मिल सकती है। हालांकि यह तभी संभव है जब को-अप्लिकेंट न सिर्फ लोन का भुगतान कर रहा हो, बल्कि प्रॉपर्टी का को-ओनर भी हो। टैक्स बचत की यह रणनीति कई परिवारों के लिए वार्षिक वित्तीय प्लानिंग का अहम हिस्सा बन सकती है।
लोन एलिजिबिलिटी और ब्याज दर में राहत
जब आप अकेले लोन लेते हैं, तो आपकी आय सीमित मानी जाती है। लेकिन जॉइंट होम लोन में दोनों आवेदकों की आय को जोड़कर लोन अमाउंट तय किया जाता है। इससे बड़ा लोन लेना संभव हो जाता है, जिससे बेहतर लोकेशन या बड़ी प्रॉपर्टी का विकल्प खुलता है। अगर को-अप्लिकेंट महिला हो, तो कुछ बैंकों द्वारा ब्याज दर में 0.05% तक की रियायत भी मिलती है। इस तरह संयुक्त लोन योजना सिर्फ वित्तीय मदद नहीं बल्कि रणनीतिक लाभ भी है।
ईएमआई बंटवारे से होता है आर्थिक बोझ कम
जॉइंट होम लोन लेने का एक व्यावहारिक लाभ यह है कि लोन की ईएमआई का भुगतान दोनों को-अप्लिकेंट कर सकते हैं। इससे प्रत्येक व्यक्ति पर वित्तीय दबाव कम होता है और मासिक बजट संतुलित रहता है। यह उन दंपत्तियों या परिवारों के लिए आदर्श स्थिति है जो अपने फाइनेंशियल रिस्पॉन्सिबिलिटी को आपस में साझा करना चाहते हैं।
साझा देयता: साथ मिला तो ज़िम्मेदारी भी दोगुनी
जॉइंट लोन जहां फायदे देता है, वहीं इसका एक अहम पक्ष है—साझा देयता। यदि किसी कारणवश एक को-अप्लिकेंट ईएमआई भरने में विफल रहता है, तो बैंक दूसरे को पूरी देनदारी के लिए उत्तरदायी मानता है। ऐसे में रिश्ता चाहे जो भी हो, फाइनेंशियल जिम्मेदारी बहुत स्पष्ट और पारदर्शी होनी चाहिए, अन्यथा यह साझेदारी तनाव और कानूनी उलझनों में बदल सकती है।
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क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है सीधा असर
यदि जॉइंट होम लोन की ईएमआई समय पर नहीं चुकाई जाती, तो इसका प्रभाव दोनों को-अप्लिकेंट्स के क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। यह बात कई लोगों को बाद में समझ आती है, जब अगला लोन या क्रेडिट कार्ड लेने की कोशिश की जाती है। इसलिए जॉइंट लोन से पहले दोनों आवेदकों को यह समझना जरूरी है कि यह उनके पूरे वित्तीय इतिहास पर असर डाल सकता है।
दस्तावेज और प्रक्रिया की जटिलता
होम लोन की प्रक्रिया वैसे ही लंबी होती है, लेकिन जब दो या अधिक लोग मिलकर लोन के लिए आवेदन करते हैं, तो दस्तावेज़ों की जांच और मंजूरी में और अधिक समय लगता है। हर को-अप्लिकेंट को अपनी आय, पहचान, निवास और क्रेडिट संबंधी जानकारी देनी होती है, जिससे आवेदन प्रक्रिया अधिक जटिल और समय लेने वाली हो जाती है।
मतभेद की स्थिति में उत्पन्न हो सकती है कानूनी जटिलता
यदि को-अप्लिकेंट्स के बीच कोई मतभेद या व्यक्तिगत विवाद (जैसे तलाक या संपत्ति विवाद) हो जाता है, तो जॉइंट लोन और प्रॉपर्टी के स्वामित्व को लेकर स्थिति बहुत जटिल हो सकती है। ऐसे मामलों में लोन रीपेमेंट, प्रॉपर्टी ट्रांसफर और लिगल नॉमिनेशन जैसी चीज़ें बड़ी चुनौती बन जाती हैं। इसलिए जॉइंट होम लोन लेने से पहले आपसी सहमति और कानूनी सलाह लेना बेहद जरूरी है।
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