
भारतीय रिजर्व बैंक-RBI द्वारा 16 अप्रैल, 2025 को एक अहम निर्णय लेते हुए अहमदाबाद स्थित कलर मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक-Colour Merchants Co Operative Bank का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। यह कदम बैंक की लगातार कमजोर होती वित्तीय स्थिति और उसकी कमाई की संभावनाओं के लगभग समाप्त हो जाने के चलते उठाया गया है। यह घटनाक्रम भारत के सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में एक बार फिर नियामक सख्ती और जमाकर्ताओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देने का उदाहरण बन गया है।
कमाई की संभावनाएं न के बराबर, पूंजी में भारी कमी
RBI ने साफ किया है कि Colour Merchants Co Operative Bank के पास पर्याप्त पूंजी नहीं है और यह बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की अनिवार्य शर्तों को पूरा करने में विफल रहा है। बैंक की इस विफलता के चलते, न केवल उसकी संचालन क्षमता पर सवाल उठे, बल्कि जमाकर्ताओं के हित भी खतरे में पड़ गए थे। इससे पहले कि स्थिति और बिगड़े, RBI ने समय रहते कार्रवाई की और बैंक के लाइसेंस को रद्द कर दिया।
बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह बंद, परिसमापन प्रक्रिया शुरू
लाइसेंस रद्द होने के बाद बैंक को सभी प्रकार के बैंकिंग कार्य तत्काल प्रभाव से बंद करने के आदेश दिए गए हैं। अब यह बैंक किसी भी प्रकार की जमा राशि स्वीकार नहीं कर सकेगा, न ही पुराने ग्राहकों को पैसे लौटा पाएगा। परिसमापन की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है, और इसमें जमाकर्ताओं को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन-DICGC की ओर से ₹5 लाख तक की बीमा राशि मिलने की सुविधा रहेगी।
98.51% खाताधारकों को पूरी राशि मिलेगी
RBI के बयान के मुताबिक, बैंक के द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़ों से यह बात सामने आई है कि करीब 98.51% जमाकर्ता DICGC की गारंटी योजना के अंतर्गत अपनी पूरी जमा राशि प्राप्त कर सकेंगे। यह आंकड़ा राहत देने वाला है क्योंकि यह दर्शाता है कि बैंक की अधिकतम जमाकर्ता राशि ₹5 लाख की सीमा में ही है, जिससे अधिकांश लोगों को नुकसान की आशंका नहीं है।
अब तक 13.94 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका
DICGC ने पहले ही 31 मार्च, 2024 तक Colour Merchants Co Operative Bank के जमाकर्ताओं को ₹13.94 करोड़ का भुगतान कर दिया था। इस सक्रिय भुगतान प्रक्रिया ने बीमा योजना की कार्यक्षमता को स्पष्ट कर दिया है। बैंक के बंद होने के बावजूद जमाकर्ताओं की पूंजी को सुरक्षित रखना प्रणाली की प्राथमिकता बनी हुई है।
जनहित में लिया गया निर्णायक कदम
RBI का यह निर्णय जनहित में लिया गया है। अगर बैंक को आगे भी संचालन की अनुमति दी जाती, तो इससे न केवल जमाकर्ताओं को आर्थिक नुकसान होता बल्कि समूची सहकारी बैंकिंग प्रणाली पर से भरोसा भी उठ सकता था। RBI का यह कदम न केवल सख्त निगरानी का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि नियामक संस्थाएं भारत में जमाकर्ताओं की सुरक्षा को लेकर सतर्क और प्रतिबद्ध हैं।