
28 जून 2018 और 11 अगस्त 2023 के बीच प्राथमिक विद्यालयों में नियोजित बीएड (B.Ed) योग्यताधारी शिक्षकों के लिए अब छह महीने का ब्रिज कोर्स अनिवार्य कर दिया गया है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने सुप्रीम कोर्ट के 8 अप्रैल 2024 के आदेश के अनुपालन में इसकी अधिसूचना 7 अप्रैल को जारी की। यह निर्णय शिक्षकों की पात्रता को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है और इसका सीधा असर हजारों शिक्षकों पर पड़ेगा जो इस अवधि में नियुक्त हुए हैं।
ब्रिज कोर्स की निगरानी और संचालन
इस अनिवार्य ब्रिज कोर्स का संचालन राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) द्वारा किया जाएगा और इसकी निगरानी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधीन होगी। यह कोर्स शिक्षकों को केवल एक बार करने का अवसर मिलेगा। कोर्स शुरू होने के बाद एक वर्ष के भीतर इसे पूरा करना अनिवार्य होगा, अन्यथा उनकी नौकरी पर संकट खड़ा हो सकता है। यह कोर्स शिक्षण गुणवत्ता के मानकों को बनाए रखने और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के पालन हेतु एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सत्य और न्याय की जीत – शिक्षकों की एकता रंग लाई
शिक्षक समुदाय में लंबे समय से यह मांग उठ रही थी कि उन्हें सेवाओं से वंचित न किया जाए, बल्कि आवश्यक योग्यता के लिए अवसर दिया जाए। शिक्षक भर्ती मामलों के विशेषज्ञ राहुल पांडेय ने इस निर्णय को शिक्षकों की एकजुटता और सत्य के प्रति प्रतिबद्धता की जीत बताया है। उनका कहना है कि इस आदेश से हजारों शिक्षकों को राहत मिली है, जिन्हें अब सिर्फ ब्रिज कोर्स पूरा कर अपनी नौकरी सुरक्षित करनी है।
69000 शिक्षक भर्ती से जुड़े बीएडधारी शिक्षकों को बड़ी राहत
उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती के अंतर्गत चयनित बीएड योग्यताधारी हजारों शिक्षकों को इस अधिसूचना से बड़ी राहत मिली है। पहले इन शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई थी, लेकिन अब यह स्पष्ट है कि उन्हें केवल ब्रिज कोर्स करना होगा, जिससे वे अपनी सेवाएं सुचारु रूप से जारी रख सकेंगे। यह फैसला न केवल शिक्षकों की नौकरी सुरक्षा के लिहाज से अहम है, बल्कि शिक्षा प्रणाली की मजबूती के लिए भी एक सकारात्मक पहल है।