
एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) ने अपने सेविंग्स अकाउंट की ब्याज दरों (Savings Account Interest Rate) में कटौती कर देशभर के लाखों ग्राहकों को चौंका दिया है। प्राइवेट सेक्टर के इस सबसे बड़े बैंक की नई ब्याज दरें अब देश के अन्य प्रमुख बैंकों से भी कम हो गई हैं। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में रेपो रेट में कटौती की है।
ब्याज दरों में बदलाव: HDFC Bank की नई पॉलिसी
एचडीएफसी बैंक ने 12 अप्रैल से सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाली ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की है। अब 50 लाख रुपये से कम के बैलेंस पर ब्याज दर सिर्फ 2.75% रह गई है, जबकि इससे पहले यह 3% थी। वहीं 50 लाख रुपये से अधिक के बैलेंस पर ब्याज दर 3.5% से घटाकर 3.25% कर दी गई है। यह गिरावट ऐसे समय पर की गई है जब महंगाई दर स्थिर बनी हुई है, और निवेशकों को स्थिर रिटर्न की अपेक्षा होती है।
अन्य बैंकों की तुलना में HDFC की स्थिति
जहाँ HDFC Bank ने ब्याज दरों में कटौती की है, वहीं ICICI Bank और Axis Bank जैसे अन्य प्रमुख प्राइवेट बैंक अभी भी 50 लाख रुपये से कम के बैलेंस पर 3% की ब्याज दर ऑफर कर रहे हैं। इसका अर्थ यह है कि HDFC की सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज दर अब सेक्टर में सबसे कम मानी जा रही है। इससे ग्राहकों के बीच चिंता बढ़ गई है कि क्या उनका पैसा सही जगह जमा है।
Savings Account क्या होता है और इसकी ब्याज दर का महत्व
सेविंग्स अकाउंट (Savings Account) एक ऐसा खाता होता है जहाँ आप अपने पैसों को सुरक्षित रखते हैं और उस पर बैंक से एक निश्चित ब्याज अर्जित करते हैं। यह ब्याज तब तक मिलता है जब तक पैसे खाते में रहते हैं। हालांकि यह रिटर्न एफडी या अन्य निवेश माध्यमों के मुकाबले कम होता है, लेकिन इसमें लिक्विडिटी सबसे बड़ी सुविधा है। ब्याज दर में गिरावट का सीधा असर ग्राहकों की बचत पर पड़ता है, खासकर उन लोगों पर जो सुरक्षित निवेश को प्राथमिकता देते हैं।
FD Interest Rate में भी दिखी गिरावट
ब्याज दरों में गिरावट का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। इससे पहले HDFC Bank ने 1 अप्रैल 2025 को फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) की ब्याज दरों में भी 35 से 40 आधार अंकों की कटौती की थी। यह कटौती खासकर चुनिंदा अवधि की FD पर की गई थी, जिससे निवेशकों को एक और झटका लगा। FD traditionally एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है, और इस पर ब्याज दर में कटौती से निवेशकों के सामने नई रणनीतियाँ अपनाने की जरूरत खड़ी हो गई है।