ऐसे लोगों के बैंक अकाउंट हो सकते हैं फ्रीज! बैंक संघ ने RBI से मांगी बड़ी मंजूरी

देश के बैंक साइबर क्राइम से निपटने के लिए फेक अकाउंट्स पर लगाम कसने की तैयारी में हैं। IBA ने RBI को सुझाव भेजे हैं जिनमें खातों की रियल-टाइम निगरानी, तकनीकी निवेश, और Election Commission डेटा का उपयोग शामिल है। AI आधारित सुरक्षा तंत्र के जरिए बैंकिंग सिस्टम को अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में यह एक अहम कदम साबित हो सकता है।

By Pankaj Singh
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ऐसे लोगों के बैंक अकाउंट हो सकते हैं फ्रीज! बैंक संघ ने RBI से मांगी बड़ी मंजूरी
बैंक अकाउंट

देश में साइबर क्राइम की बढ़ती घटनाएं बैंकिंग सेक्टर के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी हैं। खासतौर पर फेक अकाउंट्स के जरिए होने वाले अवैध ट्रांजैक्शन ने बैंकों को अलर्ट मोड पर ला दिया है। इस समस्या से निपटने के लिए देश के तमाम बैंक अब अपनी शक्तियों में इज़ाफा चाहते हैं ताकि वे बिना समय गंवाए ऐसे संदिग्ध खातों पर तुरंत कार्रवाई कर सकें। हालांकि, वर्तमान में PMLA (धन शोधन रोधक अधिनियम) के तहत कोई भी बैंक कोर्ट या Law Enforcement Agencies (LEA) की अनुमति के बिना किसी खाते को जब्त नहीं कर सकता, भले ही वह खाता साइबर क्राइम में लिप्त हो।

तेजी से कार्रवाई की जरूरत

बैंकों का कहना है कि जब किसी खाते से फेक ट्रांजैक्शन या अवैध गतिविधियों के संकेत मिलते हैं, तो तत्काल कार्रवाई करना बेहद जरूरी होता है। लेकिन मौजूदा कानूनी प्रक्रिया में इतना समय लग जाता है कि कई बार अपराधी रकम निकालकर फरार हो जाते हैं। यही कारण है कि बैंक Real-time Response सिस्टम की मांग कर रहे हैं, ताकि ऐसे मामलों में समय रहते एक्शन लिया जा सके।

IBA का सुझाव और RBI की भूमिका

Indian Banks’ Association (IBA) के एक वर्किंग ग्रुप ने इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार कर Reserve Bank of India (RBI) को सुझाव भेजने की योजना बनाई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर क्राइम के खिलाफ कार्रवाई को प्रभावी बनाने के लिए कुछ विशेष शक्तियों की जरूरत है। फेक अकाउंट्स का इस्तेमाल कर फ्रॉड करने वाले लोग बैंकिंग सिस्टम की कमजोरियों का फायदा उठाकर बार-बार नए अकाउंट खोल लेते हैं, जिससे बैंकों की चुनौती और बढ़ जाती है।

डेटा वेरिफिकेशन और टेक्नोलॉजी का सहारा

बैंकों ने प्रस्ताव दिया है कि जहां PAN Number उपलब्ध नहीं है, वहां Voter ID और Form 60 के जरिए खोले गए खातों की जानकारी Election Commission के डेटा से वेरिफाई की जा सकती है। इसके अलावा, इन खातों में होने वाले ट्रांजैक्शनों की संख्या पर लिमिट तय करने का सुझाव भी रिपोर्ट में दिया गया है। इससे फेक ट्रांजैक्शन की संभावना कम होगी और निगरानी आसान होगी।

AI और Machine Learning का उपयोग

वर्किंग ग्रुप ने AI (Artificial Intelligence) और Machine Learning को Transaction Monitoring Systems से जोड़ने की सिफारिश की है। इससे संदिग्ध गतिविधियों की पहचान पहले ही चरण में हो सकेगी। साथ ही, बैंकों को सलाह दी गई है कि वे टेक्नोलॉजी में निवेश बढ़ाएं, कर्मचारियों को बेहतर ट्रेनिंग दें और सभी स्टेकहोल्डर्स के बीच सहयोग बढ़ाएं। इससे फाइनेंशियल सिस्टम को और ज्यादा Cyber-secure बनाया जा सकेगा।

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Pankaj Singh

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