योगी सरकार का बड़ा तोहफा! अब किसानों को गेहूं बेचने में नहीं होगी दिक्कत – जानिए नई सुविधा

उत्तर प्रदेश सरकार ने गेहूं बिक्री के लिए किसानों को सत्यापन प्रक्रिया से राहत दी है। अब 100 क्विंटल से अधिक गेहूं बेचने वाले किसानों को सत्यापन से छूट दी गई है। पंजीकरण की सुविधा ऑनलाइन पोर्टल और ऐप पर उपलब्ध है। प्रति क्विंटल 2,425 रुपये की दर से गेहूं की सरकारी खरीद हो रही है। प्रशासन अनियमितता रोकने और खरीद लक्ष्य पूरा करने के प्रयास में जुटा है।

By Pankaj Singh
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योगी सरकार का बड़ा तोहफा! अब किसानों को गेहूं बेचने में नहीं होगी दिक्कत – जानिए नई सुविधा
योगी सरकार का बड़ा तोहफा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने गेहूं बिक्री के लिए किसानों को बड़ी राहत दी है। खाद्य एवं रसद विभाग ने गेहूं की सरकारी बिक्री को लेकर सत्यापन की प्रक्रिया को और सरल बना दिया है। अब किसानों को 100 क्विंटल से ऊपर गेहूं की बिक्री करने पर सत्यापन से छूट दे दी गई है। इससे किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य प्राप्त करने में आसानी होगी और अनावश्यक कागजी कार्यवाहियों से राहत मिलेगी।

गेहूं की सरकारी खरीद के लिए ऑनलाइन पंजीकरण

किसानों को अब गेहूं की बिक्री के लिए खाद्य एवं रसद विभाग के पोर्टल fcs.up.gov.in या विभाग के मोबाइल ऐप UP KISHAN MITRA पर पंजीकरण और नवीनीकरण की सुविधा उपलब्ध है। सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि सत्यापन अथवा अभिलेखों में किसी प्रकार की त्रुटि के कारण किसान सरकारी खरीद से वंचित न रह जाएं। यह डिजिटल प्रक्रिया किसानों के लिए पारदर्शिता और सरलता लेकर आई है।

सरकारी खरीद के आंकड़े और लाभ

शनिवार तक प्रदेश में कुल 3,77,678 किसानों ने ऑनलाइन पंजीकरण करा लिया है। इनमें से 39,006 किसानों ने पहले ही गेहूं की बिक्री कर दी है। अब तक 2.06 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद पूरी हो चुकी है। सरकार किसानों को प्रति क्विंटल गेहूं की खरीद पर 2,425 रुपये प्रदान कर रही है। इसके अतिरिक्त, उतराई, छनाई और सफाई के लिए भी 20 रुपये प्रति क्विंटल की अतिरिक्त राशि दी जा रही है, जिससे किसानों को आर्थिक सहायता और बढ़ेगी।

खुले बाजार बनाम सरकारी केंद्रों पर टकराव

हालांकि सरकार के प्रयासों के बावजूद, कुछ किसान सरकारी क्रय केंद्रों के बजाय खुले बाजार की ओर रुख कर रहे हैं, जहां उन्हें गेहूं का अधिक मूल्य प्राप्त हो रहा है। लखीमपुर जिले में किसानों और प्रशासन के बीच इसी वजह से कुछ असहमति की स्थिति बनी रही। स्थानीय किसान सरदार सरजीत सिंह ने बताया कि सरकारी केंद्रों पर गेहूं बेचने से नुकसान होता है, क्योंकि खुले बाजार में ज्यादा दाम मिलते हैं। वहीं उमाशंकर और विनोद कुमार जैसे किसानों का कहना है कि सरकारी केंद्रों की कागजी प्रक्रिया लंबी होती है और आढ़त से एडवांस में पैसा मिल जाता है, जिससे तत्काल जरूरतें पूरी हो जाती हैं।

प्रशासन की सख्ती और व्यापारी वर्ग की प्रतिक्रिया

शनिवार को लखीमपुर की कृषि उत्पादन मंडी समिति में जब खुले बाजार में गेहूं की खरीद हो रही थी, तब प्रशासन ने अचानक कार्रवाई करते हुए व्यापारियों की गतिविधियों पर शिकंजा कस दिया। हालांकि इस कदम से कुछ समय के लिए खरीद प्रभावित रही, लेकिन मंडी समिति के सचिव आशीष कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि मंडी में कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। यह कार्रवाई केवल अनियमितताओं को रोकने और सरकारी क्रय केंद्रों पर आवक सुनिश्चित करने के लिए की गई थी।

प्रशासन का उद्देश्य है कि किसानों को निर्धारित सरकारी दरों का लाभ मिले और गेहूं खरीद का लक्ष्य समय पर पूरा किया जा सके। हालांकि व्यापारी वर्ग प्रशासन की इस सख्ती से थोड़ा असहज नजर आया, लेकिन किसानों के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया।

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Pankaj Singh

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