
दिल्ली सरकार के सर्वोदय विद्यालयों में प्री-प्राइमरी और प्राइमरी क्लासेस के लिए एकेडमिक सेशन 2025-26 की एडमिशन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से पहले आओ, पहले पाओ (first come, first served) के आधार पर की जा रही है। दिल्ली शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि इस विशेष एडमिशन ड्राइव में वे सभी बच्चे पात्र हैं जो दिल्ली के निवासी हैं।
शहरभर के 400 से अधिक सर्वोदय विद्यालय इस ड्राइव में भाग ले रहे हैं और edudel.nic.in वेबसाइट पर इन स्कूलों की पूरी सूची उपलब्ध कराई गई है। इस पहल का उद्देश्य उन सीटों को भरना है जो नर्सरी, केजी और पहली कक्षा में अब भी खाली पड़ी हैं।
प्री-प्राइमरी और प्राइमरी क्लासेस के लिए क्यों जरूरी हुआ मैनुअल एडमिशन
हालांकि नर्सरी से लेकर पहली कक्षा तक की रेगुलर एडमिशन प्रक्रिया पहले से चल रही थी, लेकिन अब भी कई स्कूलों में सीटें खाली हैं। इन सीटों को भरने के लिए शिक्षा निदेशालय ने मैनुअल एडमिशन की अनुमति दी है। इसका मतलब है कि इच्छुक अभिभावकों को अपने नजदीकी सर्वोदय विद्यालय जाकर ही एडमिशन फॉर्म भरना होगा और वहीं जमा करना होगा।
यह पूरी प्रक्रिया ऑफलाइन रखी गई है ताकि स्कूल स्तर पर ही सीटों की निगरानी और नियंत्रण हो सके। फॉर्म वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है लेकिन सबमिशन केवल संबंधित विद्यालय में ही किया जा सकेगा।
एडमिशन के लिए पात्रता और प्राथमिकता का आधार
केवल दिल्ली के निवासी ही इस प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं। पात्र बच्चों के चयन में विद्यालय से दूरी को प्राथमिकता दी जाएगी। पहले वरीयता उन बच्चों को दी जाएगी जो स्कूल से एक किलोमीटर के भीतर रहते हैं। इसके बाद तीन किलोमीटर और फिर उन्हें जो किसी सर्वोदय विद्यालय के पास नहीं रहते।
यदि बच्चा तीन किलोमीटर से अधिक दूरी पर रहता है, तो अभिभावकों को यह लिखित में देना होगा कि उनके पास बच्चे के लिए सुरक्षित परिवहन व्यवस्था है। यह मानदंड बच्चों की सुरक्षा और नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए रखा गया है।
सीट अलॉटमेंट के दिशा-निर्देश और पारदर्शिता की कोशिश
शिक्षा निदेशालय ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी किए हैं। प्रत्येक कक्षा में अधिकतम 40 छात्रों को ही दाखिला दिया जाएगा। यदि कोई छात्र पिछले सत्र में अनुपस्थित रहा है और उसका कोई संपर्क नहीं है, तभी उसकी सीट को खाली माना जाएगा।
ट्रांसफर केस में भी प्राथमिकता दी जाएगी, खासकर तब जब छात्र किसी अन्य सर्वोदय विद्यालय से स्थानांतरण लेना चाहता हो। इस तरह की व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि एक भी सीट बिना जरूरत खाली न रहे और वंचित छात्रों को अवसर मिल सके।