
Agniveer Salary: अग्निपथ योजना की शुरुआत 14 जून 2022 को मोदी सरकार द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य सेना में युवाओं की भर्ती सुनिश्चित करना है। इस योजना के अंतर्गत चयनित युवाओं को अग्निवीर-Agniveer कहा जाता है और इनकी भर्ती थल सेना, वायु सेना और नौसेना में 4 साल के कॉन्ट्रैक्ट के तहत होती है। अग्निपथ योजना को लेकर शुरू से ही कई सवाल उठते रहे हैं—जैसे कि अग्निवीरों को चार साल की सेवा के दौरान और बाद में क्या-क्या लाभ मिलते हैं, उनकी सैलरी क्या होती है और रिटायरमेंट के बाद कितना भुगतान किया जाता है।
Agniveer Application Process
अग्निवीर बनने के लिए उम्मीदवारों को साल में दो बार—मई और नवंबर में—भर्ती प्रक्रिया से गुजरना होता है। आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत भारतीय सेना की आधिकारिक वेबसाइट joinindianarmy.com से होती है। अग्निवीर बनने के लिए उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा, फिजिकल टेस्ट, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और मेडिकल परीक्षण जैसे कई चरणों को पार करना होता है। चयनित उम्मीदवारों की अंतिम सूची वेबसाइट पर जारी की जाती है।
कितनी होती है अग्निवीरों की सैलरी?
अग्निपथ योजना के तहत पहले वर्ष में अग्निवीरों को ₹30,000 मासिक वेतन मिलता है, जिसमें से ₹9,000 Agniveers Corpus Fund में जमा होता है और ₹21,000 इन-हैंड सैलरी मिलती है। हर वर्ष सैलरी में 10% की वृद्धि होती है।
- दूसरे वर्ष में सैलरी ₹33,000 हो जाती है, जिसमें ₹23,100 इन-हैंड और ₹9,900 कोष में जमा होता है।
- तीसरे वर्ष में ₹36,500 सैलरी मिलती है, जिसमें ₹25,550 इन-हैंड और ₹10,950 फंड में जमा होता है।
- चौथे वर्ष में ₹40,000 सैलरी होती है, जिसमें ₹28,000 इन-हैंड और ₹12,000 सेवा निधि में जाती है।
4 साल बाद मिलते हैं ₹10.04 लाख रुपए
सेवा पूरी होने पर अग्निवीरों को Agniveers Corpus Fund में जमा ₹5.02 लाख रुपए मिलते हैं। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार भी उतनी ही राशि यानी ₹5.02 लाख रुपए जोड़ती है। इस तरह सेवा निधि पैकेज ₹10.04 लाख रुपए का होता है, जिस पर ब्याज भी दिया जाता है।
छुट्टियां और सुविधाएं
अग्निपथ योजना के अंतर्गत अग्निवीरों को हर साल 30 दिनों की नियमित छुट्टियां दी जाती हैं। इसके अलावा, मेडिकल लीव की सुविधा भी उपलब्ध है, जिसे आवश्यकतानुसार लिया जा सकता है।
सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ
चार साल की सेवा के बाद अग्निवीरों को कई राज्यों की सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलता है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, असम, गुजरात, ओडिशा, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने इस योजना को अपनाया है। इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी BSF, CRPF, ITBP, SSB और CISF में 10% आरक्षण का प्रावधान किया है।