
पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के तहत सरकार का लक्ष्य जनपद में एक लाख मकानों की छतों पर सोलर एनर्जी-Renewable Energy प्लांट स्थापित करने का है। हालांकि अब तक केवल 2300 घरों पर ही यह सोलर सिस्टम लगाए जा सके हैं। लक्ष्य से काफी पीछे चल रही इस योजना को गति देने के लिए अब जिला प्रशासन ने सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और शिक्षकों के घरों को प्राथमिकता देने का फैसला किया है। जनपद में ऐसे करीब 12,000 मकान हैं, जिनकी छतों पर सोलर एनर्जी सिस्टम स्थापित किया जा सकता है।
सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों की छतों पर लगेगा सोलर प्लांट
मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) नूपुर गोयल ने सभी विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं कि वे अपने-अपने विभागों के कर्मचारियों, अधिकारियों और शिक्षकों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करें। जिन सरकारी कर्मचारियों के पास खुद का मकान है, उन्हें इस योजना के तहत सब्सिडी पर सोलर प्लांट लगाने का सुझाव दिया जा रहा है। ग्रुप तीन के स्थानीय कर्मचारी और बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के शिक्षक इस योजना में बड़ी संख्या में भाग ले सकते हैं।
सोलर एनर्जी से घटेगा बिजली बिल
इस योजना के तहत सोलर एनर्जी प्लांट से बनने वाली बिजली सीधे घर की जरूरतों को पूरा करेगी। अगर बिजली का उपभोग कम होता है, तो अतिरिक्त बिजली ग्रिड में चली जाती है और उसकी मीटरिंग होती है। माह के अंत में जो बिजली उपयोग की गई और जो ग्रिड में भेजी गई, उसके बीच का अंतर निकालकर बिजली बिल तैयार होता है। दावा है कि सोलर सिस्टम लगवाने के बाद उपभोक्ताओं के बिजली बिल में काफी कमी आ रही है।
सब्सिडी का पूरा विवरण
योजना के तहत सरकार सोलर एनर्जी प्लांट लगाने वालों को भारी सब्सिडी प्रदान कर रही है। एक किलोवाट की क्षमता वाले प्लांट पर ₹45,000 की सब्सिडी मिलती है। दो किलोवाट पर ₹90,000 और तीन किलोवाट या उससे अधिक क्षमता वाले प्लांट पर ₹1.08 लाख की सब्सिडी दी जा रही है। इससे लोगों को सोलर सिस्टम लगवाने में वित्तीय राहत मिल रही है।
योजना को सफल बनाने के लिए लगातार हो रही बैठकों का आयोजन
यूपीनेडा के परियोजना अधिकारी प्रमोद शर्मा ने बताया कि योजना को सफल बनाने के लिए सभी विभागों में नियमित बैठकें की जा रही हैं। इन बैठकों में योजना की जानकारी दी जाती है और कर्मचारियों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे आगे आकर इस योजना का लाभ लें। प्रशासन को उम्मीद है कि जब सरकारी कर्मचारी और शिक्षक इस योजना में भाग लेंगे, तो आम नागरिकों के बीच भी इसका विश्वास बढ़ेगा और योजना का विस्तार तेजी से होगा।