
वक्फ अधिनियम में हुए हालिया बदलावों के बाद उत्तर प्रदेश में वक्फ संपत्तियों का सर्वे शुरू होने वाला है, जो शिकमी किरायेदारों के लिए एक बड़ी परेशानी बन सकता है। नए नियमों के तहत वक्फ संपत्तियों से जुड़ी आय में बढ़ोतरी की योजना बनाई गई है, जिसमें किराएदारों के दस्तावेजों की गहन पड़ताल की जाएगी। यदि कोई किराएदार वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका, तो उसे तत्काल संपत्ति खाली करनी होगी।
शिकमी किरायेदार वे होते हैं जिन्हें वक्फ बोर्ड से सीधे किराएदारी नहीं मिली होती बल्कि उन्हें किसी अन्य किराएदार ने अनौपचारिक रूप से किराए पर जगह दी होती है। अब ऐसे सभी मामलों की जांच की जाएगी और केवल आधिकारिक अनुबंध वाले किराएदारों को ही संपत्ति पर बने रहने की अनुमति होगी।
किराएदारी की वैधता होगी अनिवार्य
नए अधिनियम के लागू होने के बाद, वास्तविक वक्फ संपत्तियों की पहचान और उनसे होने वाली आय बढ़ाने के लिए हर किराएदार की वैधता की पुष्टि की जाएगी। इसके लिए उनके अनुबंध पत्र, भुगतान रसीदें और अन्य दस्तावेजों की जांच होगी। यदि कोई दस्तावेज अधूरे या अनधिकृत पाए गए, तो ऐसे व्यक्तियों को वक्फ संपत्ति से बेदखल कर दिया जाएगा। इन संपत्तियों को बाद में नए नियमों के तहत पुनः आवंटित किया जाएगा।
वक्फ की कई संपत्तियों पर वर्षों से एक ही व्यक्ति काबिज हैं, जबकि नियम कहता है कि अधिकतम 11 महीने के अनुबंध पर ही संपत्ति किराए पर दी जा सकती है। साथ ही समय-समय पर अनुबंध और किराया दरों में संशोधन होना चाहिए, जो अब तक नहीं हुआ। इस उल्लंघन की भी जांच होगी।
शिकमी किरायेदारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती
शिकमी किरायेदारों को न केवल संपत्ति से बेदखल होने का खतरा है, बल्कि उन्होंने जिस व्यक्ति को पगड़ी के रूप में एकमुश्त रकम दी थी, उसके लौटने की भी संभावना बेहद कम है। वक्फ बोर्ड किसी अनधिकृत लेन-देन की जिम्मेदारी नहीं लेगा। ऐसे में शिकमी किरायेदारों को दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है—न किराएदारी की मान्यता और न ही जमा धन की वापसी।
पगड़ी के रिकॉर्ड में भी पारदर्शिता की कमी
वक्फ संपत्तियों को किराए पर देने से पहले वसूली गई धरोहर राशि (पगड़ी) का कोई भी लेखा-परीक्षित रिकॉर्ड वक्फ बोर्डों के पास नहीं है। नए अधिनियम के लागू होने के बाद जब दस्तावेजों की पड़ताल होगी, तब वक्फ बोर्डों को भी इन लेन-देन का हिसाब देना कठिन हो सकता है। यह जांच सिर्फ किरायेदारों के लिए ही नहीं, वक्फ बोर्डों के लिए भी बड़ी चुनौती बनकर सामने आएगी।
किराए की दरों में होगा क्षेत्रीय आधार पर संशोधन
वक्फ संपत्तियों से होने वाली आय में इजाफा करने के लिए नए अधिनियम के तहत किराए की दरों में भी वृद्धि की जाएगी। अब यह दरें बाजार मूल्य के नजदीक होंगी, हालांकि थोड़ी रियायती रह सकती हैं। लखनऊ जैसे शहरों में यह दरें अलग-अलग इलाकों में भिन्न होंगी। संपत्ति की लोकेशन और स्थानीय बाजार दर को आधार मानते हुए क्षेत्रवार किराए तय किए जाएंगे। इससे पहले की तुलना में किरायेदारों को अधिक भुगतान करना होगा, जिससे कई पुराने किरायेदारों को हटाकर नए अनुबंधों के तहत संपत्तियां आवंटित की जा सकेंगी।