
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) एक क्रांतिकारी पहल के तहत आधार फेस ऑथेंटिकेशन ऐप का परीक्षण कर रहा है। इस ऐप के जरिए अब आधार का वेरिफिकेशन फेस स्कैन के माध्यम से होगा, जिससे होटल, दुकान या अन्य किसी स्थान पर आधार की फोटो कॉपी देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आधार संवाद कार्यक्रम में यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि यह सुविधा जल्द आम लोगों के लिए उपलब्ध कराई जाएगी।
QR कोड से होगा डिजिटल सत्यापन, प्रक्रिया होगी UPI जैसी सरल
मंत्री वैष्णव ने इस मौके पर बताया कि नया ऐप UPI भुगतान की तरह सरल अनुभव देगा। उपयोगकर्ता को केवल क्यूआर कोड स्कैन करना होगा और उसके बाद चेहरा पहचान कर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। यह तकनीक न केवल तेज है, बल्कि पूरी तरह से डिजिटल है और यूज़र की प्राइवेसी को सुरक्षित रखने में सक्षम है।
नए ऐप की सुरक्षा और उपयोगिता पर खास जोर
नया आधार ऐप पूरी तरह से सुरक्षित डिजाइन किया गया है, जो डाटा प्राइवेसी को प्राथमिकता देता है। इस ऐप में केवल आवश्यक जानकारी ही साझा की जाएगी और किसी व्यक्ति को अपनी निजी जानकारी पर पूर्ण नियंत्रण रहेगा। इससे आधार धारक की गोपनीयता बनी रहेगी और अनावश्यक रूप से व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं करनी पड़ेगी।
वर्तमान प्रक्रिया की तुलना में बड़ा बदलाव
अभी तक आधार वेरिफिकेशन की प्रक्रिया में नाम, पता, मोबाइल नंबर जैसी कई व्यक्तिगत जानकारियाँ मांगी जाती हैं, जिनकी आवश्यकता नहीं होती। लेकिन नया ऐप इस प्रक्रिया को अत्यंत सीमित और आवश्यकता आधारित बना देगा। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि डाटा सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
आधार बना रहा है समावेशन और विकास का आधार
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस कृष्णन ने बताया कि आधार देश में वित्तीय समावेशन और डिजिटल प्रगति को गति देने का माध्यम बन चुका है। आधार न केवल एक सटीक पहचान प्रणाली है, बल्कि यह आर्थिक गतिविधियों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भविष्य की डिजिटल संरचना के लिए UIDAI तैयार
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग ने कहा कि UIDAI भविष्य की तकनीकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अपने सिस्टम को लगातार अपडेट कर रहा है। वहीं, UIDAI के सीईओ भुवनेश कुमार ने कहा कि आधार फेस प्रमाणीकरण आने वाले वर्षों में प्रमाणीकरण प्रणाली की रीढ़ बन सकता है। UIDAI का पारिस्थितिकी तंत्र अब इतना व्यापक हो गया है कि वह भारत की डिजिटल पहचान प्रणाली को पूरी तरह से सक्षम कर रहा है।